नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कर्नाटक के बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई हुई । कोर्ट में बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कर्नाटक के स्पीकर रमेश कुमार इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करने के लिए बहानें बना रहे हैं। वो बार- बार नई बात छेड़ते हुए इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि किसी विधायक द्वारा इस्तीफे देने संबंधित फैसले पर विधानसभा में स्पीकर का कोई लेना देना नहीं है । न ही उनके अधिकार क्षेत्र से कोई लेना देना है । स्पीकर इस पूरे घटनाक्रम के चलते इस्तीफे की प्रक्रिया को लटकाना चाहते हैं और इसी क्रम में उन्हें अयोग्य घोषित करना चाहते हैं। ताकि उनके इस्तीफा बेकार हो जाएं। इस बीच जब स्पीकर की ओर से अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देना शुरू किया तो चीफ जस्टिस बोले- क्या स्पीकर सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं ? इस पर वकील सिंघवी ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे देने का मकसद अयोग्य करार दिए जाने की कार्रवाई से बचना है । 1974 में संविधान संसोधन के जरिये ये साफ कर दिया गया था कि इस्तीफे पर फैसला लेने से पहले ये सुनिश्चित करना जरूरी है वो सही हैं ।
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इसी क्रम में शुक्रवार को कर्नाटक संकट में एक नया मोड़ आया । पार्टी के करीब 400 कांग्रेसी कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उन्होंने कर्नाटक के बागी विधायकों के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी । याचिका में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कोर्ट से कहा, 'हमें भी सुना जाए । सुप्रीम कोर्ट ने इस पर जवाब देते हुए कहा, 'पहले बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई होगी, तब आपको भी सुन लेंगे।
विदित हो कि कर्नाटक के 10 बागी विधायकों के इस्तीफे को लेकर स्पीकर ने अड़ंगा लगाते हुए कहा था कि उनके इस्तीफे नियमानुसार नहीं है , ऐसे में वह उनसे मिलकर अपना इस्तीफा दें। इस सब के बीच स्पीकर पर इन विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की साजिश रचने के आरोप लगे । ऐसे में बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को आदेश दिया कि वे गुरुवार शाम 6 बजे तक इन विधायकों से मिले और इस मामले को सुलझाएं । लेकिन बाद में स्पीकर ने कोर्ट में अर्जी लगाते हुए थोड़ा समय मांगा था । इस सब के बाद शुक्रवार को बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई हो रही है ।
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