नई दिल्ली । मध्य प्रदेश में जारी सियासी गतिरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट में कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट को लेकर सुनवाई जारी है । राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर पर सवाल दागे । उन्होंने पूछा कि आखिर 22 विधायकों में महज 6 का इस्तीफा स्वीकार करते हुए अन्य 16 के इस्तीफे क्यों नहीं मंजूर किए गए । आखिर स्पीकर ने ऐसा क्यों किया? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बात बहुत स्पष्ट है कि विधायक सभी एक साथ कार्य कर रहे हैं । यह एक राजनैतिक ब्लॉक हो सकता है । हम कोई भी अर्थ नहीं निकाल सकते । वहीं जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि संसद या विधानसभा के सदस्यों को विचार की कोई स्वतंत्रता नहीं है । वे व्हिप से संचालित होते हैं । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक इस्तीफा एक लाइन का होना चाहिए । इस सब के बीच कोर्ट ने कहा कि हम लेन देने को बढ़ावा नहीं देना चाहते । खरीद फरोख्त रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए ।
बता दें कि मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है । इसलिए हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करें या नहीं. एक अन्य सवाल है कि अगर स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए । एक विकल्प है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दें ।
इस दौरान कमलनाथ सरकार की ओर से वकील और कांग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कर्नाटक का आदेश पढ़ा । उन्होंने कहा - दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है । अब इससे बचने के लिए नया तरीका निकाला जा रहा है । 15 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाएगा । यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है । ये मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं । सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए ।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक के आदेश स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देता कि वो कब तक अयोग्यता पर फैसला लें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि फ्लोर टेस्ट न हो । कर्नाटक के मामले में अगले दिन फ्लोर टेस्ट हुआ था और कोर्ट में विधायकों की अयोग्यता के मामले को लंबित होने की वजह से फ्लोर टेस्ट नहीं टाला था ।
सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं । ये केवल एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है । आप यह नहीं कह सकते कि मैं अपना कर्तव्य तय करूंगा और दोष भी लगाऊंगा । हम उनकी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियों बना सकते हैं कि इस्तीफे वास्तव स्वैच्छिक है ।