नई दिल्ली । जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध पाकिस्तान के गले की हड़ी बन गया है । जहां उसे इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अलग थलग कर दिया है , वहीं अब उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने भी झटके लगे हैं। परिषद के सदस्य देशों में से सिर्फ चीन के अलावा लगभग सभी देशों ने खाली हाथ लौटा दिया है । चीन भी उसकी बातों को इसलिए सुन रहा है क्योंकि उसने पाकिस्तान में काफी निवेश कर दिया है । बहरहाल , यूएन इस मुद्दे पर चीन के काफी हो हल्ले के बाद आज यानी शुक्रवार को एक बैठक करने जा रहा है। हालांकि ऐसा कभी नहीं हुआ कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था को इस तरह से कोई बैठक करनी पड़ी हो । मिली जानकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब कश्मीर मुद्दे पर कोई बैठक होने जा रही है । इससे पहले 1971 की कश्मीर मुद्दे को लेकर पहली बैठक हुई थी ।
असल में मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है । पाकिस्तान ने यूएनएससी से कश्मीर मसले पर बैठक बुलाने की मांग की थी । सुरक्षा परिषद में शामिल चीन को छोड़कर बाकी सभी चारों स्थायी सदस्यों ने प्रत्यक्ष तौर पर नई दिल्ली के इस रुख का समर्थन किया है कि यह विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसला है । अमेरिका ने भी कहा है कि कश्मीर के संबंध में हालिया घटनाक्रम भारत का आंतरिक मसला है।
वहीं बैठक बंद दरवाजे की पीछे चलेगी लेकिन इसमें पाकिस्तान का शामिल होना नामुमकिन है क्योंकि पाकिस्तान न तो स्थाई सदस्य है और न ही अस्थाई । बंद कमरे की बैठक का प्रसारण नहीं किया जाएगा. मतलब, पत्रकारों की उसमें पहुंच नहीं होगी ।
विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कुल 15 सदस्य हैं । इनमें 5 देश स्थाई है जबकि 10 अस्थाई , जिनका कार्यकाल कुछ वर्षों के लिए होता है । वहीं स्थाई सदस्य हमेशा के लिए होते हैं । स्थाई सदस्यों में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं जबकि अस्थाई देशों में बेल्जियम, कोट डीवोएर, डोमिनिक रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गुएनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड और साउथ अफ्रीका जैसे देश हैं ।
अब स्थाई सदस्यों में से चीन को छोड़ दें तो फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर हस्तक्षेप से साफ मना कर दिया है । इन देशों ने साफ कर दिया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है । इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते । इस मामले में कोई तीसरा पक्ष नहीं आ सकता ।
वहीं चीन भी इस मुद्दे को लेकर अपना नफा नुकसान तो समझ ही रहा है . लेकिन उसका पाकिस्तान में काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है । ऐसे में वह पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आ रहा है । चीन के सामने बड़ी मजबूरी बेल्ट रोड इनीशिएटिव (बीआरओ) है जिसका बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से होकर गुजर रहा है । सड़क निर्माण के इस बड़े प्रोजेक्ट में चीन ने बहुत कुछ झोंक दिया है। अरबों युआन की राशि उसने रोड प्रोजेक्ट में लगाई है और पाकिस्तान से यारी बनाए रखने के लिए वहां बड़ी मात्रा में निवेश किया है । ऐसी स्थिति में चीन अटका हुआ है ।
वहीं बात यूएनएससी के अस्थाई सदस्यों क करें तो अकेला पोलैंड अकेला देश है जो पाकिस्तान के साथ खड़ा दिख रहा है. हालांकि यह उसकी राजनयिक मजबूरी है । उसने भारत और पाकिस्तान के इस बखेड़े से खुद को काफी दूर रखा है लेकिन पोलैंड चूंकि इस वक्त यूएनएससी का रोटेटिंग प्रेसिडेंट है, इसलिए उसके सामने बैठक कराना ही अंतिम विकल्प है ।
पोलैंड के अलावा बेल्जियम, कोट डीवोएर, डोमिनिक रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गुएनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू और साउथ अफ्रीका पाकिस्तान को पूरी तरह नकार चुके हैं ।