नई दिल्ली । आखिरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि कोरोना वायरस के छोटे पार्टिकल्स हवा में भी आ गए हैं और अब ये लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। WHO में कोविड-19 महामारी से जुड़ी टेक्निकल लीड डॉक्टर मारिया वा करखोव ने कहा, 'कोरोना वायरस के हवा में होने के सबूत तो मिले हैं, लेकिन इस बारे में अभी स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता है । फिर भी भीड़भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों और बंद जगहों पर हवा के जरिए वायरस के फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है । विदित हो कि पूर्व में कई देशों के वैज्ञानिकों ने WHO को लिखे एक पत्र में बताया था कि कोरोना एक एयरबॉर्न वायरस है, जो हवा में भी फैल सकता है । उस दौरान वैज्ञानिकों ने कुछ साक्ष्यों पर भी प्रकाश डाला था जो बताते हैं कि वायरस के नन्हे पार्टिकल्स हवा में रहकर लोगों को संक्रमित कर सकते हैं । अब जाकर WHO ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है ।
डॉक्टरों की रिपोर्ट के मुताबिक , कोविड-19 जैसे रेस्पिरेटरी इंफेक्शन अलग-अलग साइज के ड्रॉपलेट्स (छींटें या बूंदें) के जरिए फैलता है । डायामीटर में 5-10 माइक्रोन्स से बड़े पार्टिकल्स को रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स माना जाता है, जबकि 5 माइक्रोन्स से छोटे पार्टिकल्स न्यूक्ली ड्रॉपलेट होते हैं ।
WHO के मुताबिक, कोविड-19 का वायरस मुख्य रूप से रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स और कॉन्टैक्ट रूट्स के माध्यम से लोगों के बीच फैलता है। हालांकि, वैज्ञानिकों द्वारा लिखे पत्र से पता चलता है कि यह एक एयरोसोल ट्रांसमिशन यानी हवा के जरिए फैलने वाला संक्रमण भी हो सकता है।
हालांकि अब से पहले WHO का मानना था कि वायरस के ड्रॉपलेट्स खांसी, छींक या बोलते वक्त बाहर निकलते हैं, जो गुरुत्वाकर्षक बल के कारण लगभग 1 मीटर की दूरी ही तय करने के बाद जमीन पर गिर जाते हैं । इसके बाद वायरस के हवा में फैलने का सवाल ही नहीं उठता । हालांकि उनकी इस बात पर दुनिया के 239 वैज्ञानिकों ने इस बात के सबूत दिए हैं कि न्यूक्ली ड्रॉपलेट (5 माइक्रोन्स से छोटा) न सिर्फ हवा में 1 मीटर से ज्यादा दूरी तक फैलता है, बल्कि ज्यादा देर के लिए भी खतरा पैदा करता है ।
WHO के मुताबिक, हवा में वायरस का संचरण कुछ खास परिस्थितियों में ही संभव हो सकता है । खुले में सांस लेने और पेट के बल लेटने के अलावा मरीजों को वेंटिलेटर से हटाने और ब्रोंचोस्कोपी, इंटुबेशन से पहले मैनुअल वेंटिलेशन और नॉन इन्वेसिव पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेशन के समय इसका खतरा बढ़ सकता है ।