नई दिल्ली । अपने पर्स में कई बैंकों के डेबिट/ क्रेडिट कार्ड रखने वाले लोग जरा इस खबर पर ध्यान दें। असल में आपने पर्स में कई बैंकों के मास्टर कार्ड, वीजा कार्ड या अमेरिकन एक्सप्रेस है तो इस बात को गौर से पढ़ें कि आज यानी 15 अक्टूबर 2018 से ये सारे कार्ड चलने बंद हो जाएंगे। असल में ATM/डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड मुहैया कराने वाली ये कंपनियां भारत में सेवाए मुहैया कराती हैं। बता दें कि कई कंपनियों ने आरबीआई की लोकल डाटा स्टोरेज की नीति को मानने से इनकार करने के मना कर दिया है। इससे पेपाल, माइक्रोसॉफ्ट , फेसबुक और अन्य विदेशी पेमेंट कंपनियों से भुगतान पर भी असर पड़ेगा । असल में आरबीआई ने इन कंपनियों को 6 माह की मोहलत दी थी, ताकि वे भारत में ही डाटा स्टोरेज का सर्वर लगा लें और दिशा-निर्देशों का पालन करें। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
डोनाल्ड ट्रंप ने भी किया था हस्तक्षेप
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वीजा, मास्टर कार्ड जैसी पेमेंट कंपनियों के भारत में लोकल डाटा स्टोरेज के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की बात कही थी। इन कंपनियों का कहना है कि लोकल डाटा स्टोरेज से उनका लागत खर्च काफी बढ़ जाएगी और वह आसानी से इस प्रक्रिया का पालन नहीं कर सकतीं।
62 कंपनियों ने निर्देशों को माना
असल में RBI के नए दिशा-निर्देश के तहत हर पेमेंट कंपनी को पेमेंट सिस्टम से जुड़े डाटा का लोकल स्टोरेज करना अनिवार्य है। इसके लिए नए नियम 16 अक्तूबर से प्रभावी हो जाएंगे। इस समय भारत में 78 में से 62 ऐसी पेमेंट कंपनियां हैं जिन्होंने आरबीआई के दिशा-निर्देश को मान लिया है। इनमें अमेजन, व्हाट्सऐप और अलीबाबा जैसी ई कॉमर्स कंपनियां भी शामिल हैं।
16 कंपनियों ने सुरक्षा पर उठाए सवाल
आरबीआई ने इस मुद्दे पर साफ कर दिया है कि जो कंपनियां उनके दिशा निर्देशों का पालन नहीं करेंगी उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। अभी तक 16 ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने आरबीआई के नए नियम को नहीं माना है। इन कंपनियों का कहना है कि कि भारत में डाटा स्टोरेज सिस्टम से न सिर्फ लागत खर्च बढ़ेगा बल्कि डाटा की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो जाएंगे। उन्होंने आरबीआई से इस समयसीमा को और बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन अब आरबीआई किसी भी तरह की मियाद बढ़ाने के मूड में नहीं है। बड़ी और विदेशी पेमेंट कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने को भी कहा था।