नई दिल्ली । सूचना प्रोद्योगिकी के इस युग में जहां कोई भी जानकारी अब किसी से छिपी नहीं है । जहां एक सिंगल क्लिक पर किसी भी शख्सियत का जीनव परिचय आपके सामने पहुंचा जाता है ,लेकिन इस सबके बीच वह जानकारी कितनी सही है , इसका संशय बना रहता है । इस सबके बीच अंग्वाल टीम ने देश के युवाओं और जिज्ञासुओं के लिए देश की प्रेरणादायक शख्सियतों से लेकर राजनीति , शिक्षा - खेल , विज्ञान - व्यापार , बॉलीवुड और अन्य से जुड़े उन दिग्गजों के बारे में आप लोगों को अवगत कराने की मुहिम शुरू की है । अपनी इस कड़ी में हम देश के वर्तमान में प्रथम व्यक्ति यानी देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बारें विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं । तो चलिए शुरुआत करते हैं उनके सफरनामे की पहली कड़ी...
कहां हुआ जन्म
बता दें कि 1 अक्टूबर 1945 को कानपुर के डेरापुर तहसील के गांव परौख निवासी माईकू लाल और कलावती के घर एक पुत्र ने जन्म लिया , जिसका नाम रामनाथ रखा गया । माईकू लाल एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे , जो गांव के चौधरी होने के साथ ही एक प्रख्यात वैद्य भी थे। उनकी एक दुकान भी थी, जिसपर पर कपड़े और अन्य सामान बेचते थे । ऐसी सूचना है कि जिस गाँव में कोविंद का जन्म हुआ था वह ब्राह्मण एवं ठाकुर बाहुल्य इलाका था जहाँ सिर्फ चार दलित घर थे।
ऐसा बीता प्रारंभिक जीवन
रामनाथ कोविंद बचपन से ही एक होनहार विद्यार्थी थे। रामनाथ के साथ कक्षा 8 तक पढ़ने वाले उनके बचपन के दोस्त जसवंत ने बताया कि उनका प्रारंभिक जीवन काफी परेशानी भरा था । उनका बचपन घास-फूस की झोपड़ी में बीता । जब रामनाथ की उम्र 5-6 वर्ष थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी। मां का साया छिनने के बाद उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया। कानपुर देहात से अपनी प्राथमिक शिक्षा पाई और इसके बाद वह कानपुर शहर चले आए जहां कानपुर विश्वविद्यालय से उन्होंने कॉमर्स और कानून में स्नातक किया। गांव में अभी भी दो कमरे का घर है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक काम के लिए होता है।
बी.कॉम पास करने के बाद एलएलबी की
रामनाथ कोविंद ने कानपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम और एलएलबी की डिग्री हासिल की । पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कानपुर से दिल्ली आ गए । दिल्ली में इन्होने सिविल सेवा की तैयारी की । शुरु में दो बार असफलता हाथ लगने के बाद भी इन्होने हार नहीं मानी और तीसरी बार फिर से आईएएस एंट्रेंस की परीक्षा दी । इस बार ये सफल हुए, हालांकि इन्हें आईएएस पद नहीं मिला था । इस पर उन्होंने सरकारी नौकरी नहीं की और वकालत का अभ्यास करना ही बेहतर समझा ।
वकालत में अच्छा नाम कमाया
कुछ समय बाद ही उनकी गिनती अच्छे सुलझे हुए वकीलों में होने लगी । वकालत करते हुए इन्होने दिल्ली हाई कोर्ट में अभ्यास किया । यहाँ पर इन्होने केंद्र सरकार के वकील रहते हुए काम किया । दिल्ली हाई कोर्ट में इनका कार्यकाल साल 1977 से 1979 तक का रहा । साल 1980 से 1993 के दौरान केंद्रीय सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल की तरफ से इन्होने सुप्रीम कोर्ट में भी अभ्यास किया ।
- कोविंद ने अपने पेशे की शुरुआत एक वकील के तौर पर की। 1971 में वे दिल्ली बार काउंसिल के सदस्य बने।
- 1977 से 1979 तक कोविंद ने दिल्ली उच्च न्यायलय में बतौर एडवोकेट कार्य किया। इसी अवधि के दौरान वे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सहायक भी रहे।
- 1978 में वे सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड बने।
- 1980 से 1993 तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर केंद्रीय सरकार के स्थाई अभिवक्ता का कार्य किया।
- सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट में उन्होंने 16 साल तक वकालत की। इस अवधि के दौरान उन्होंने समाज के विभिन्न कमजोर वर्गों के लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभाई।
1994 में यूपी से राज्यसभा सांसद चुने गए
दिल्ली में उनकी मुलाकात जन संघ के नेता हुकुम चंद (उज्जैन वाले) से हुई जिसके बाद उनका रूझान राजनीति की तरफ हो गया। वर्ष 1991 में रामनाथ कोविंद ने भाजपा ज्वाइन कर ली । वह उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर के घटमपुर लोकसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़े और हार गए। बाद में कानपुर देहात के भोगनीपुर विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और वो भी हार गए। वर्ष 1994 के अप्रैल में इन्हें उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सांसद नियुक्त किया गया । अपनी कुशल कार्यक्षमता के बल पर इन्होने इस साल लगातार 2 बार राज्यसभा सांसद का पद हासिल किया । इस तरह राज्यसभा में इनका कार्यकाल 12 वर्ष का यानि साल 2006 तक का रहा ।
राज्यसभा सांसद रहते हुए इन पदों पर भी रहे
- अनुसूचित जाति और जनजाति पार्लियामेंट्री कमेटी.
- होम अफेयर्स पार्लियामेंट्री कमेटी
- पेट्रोलियम और नेचुरल गैस पर्लिंन्ट्री कमेटी
- सोशल जस्टिस और एम्पोवेर्मेंट पार्लियामेंट्री कमेटी
- लॉ और जस्टिस पार्लियामेंट्री कमेटी
- राज्यसभा चेयरमैन
- डॉ भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट बोर्ड के सदस्य बने
- कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट के मेम्बर ऑफ़ बोर्ड के पद पर भी रहे
- यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
बिहार के राज्यपाल बनाए गए
वर्ष 2015 में रामनाथ कोविंद को बिहार के राज्यपाल के पद पर बैठाया गया । अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बिहार में कई अच्छे कामों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी मुहिम को तेज किया । अपने दो साल के बतौर राज्यपाल के कार्यकाल को पूरा करने के बाद 20 जून 2017 को देश की सत्तारूढ़ एनडीए ने उनका नाम देश के नए राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया । इसके बाद उन्होंने 20 जून 2017 को बिहार के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया।
देश के 14वें राष्ट्रपति की शपथ ली
19 जून 2017 को देश की सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने रामनाथ कोविंद का नाम प्रस्तावित किया ।
17 जुलाई 2017 को होने वाले भारत के राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA की तरफ से उनका नाम सुझाया गया ।
25 जुलाई 2017 को रामनाथ कोविंद ने देश के 14 वें राष्ट्रपति के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली । इससे प
रामनाथ कोविंद से जु़ड़ी कुछ छोटी छोटी जानकारियां
लम्बाई - 5’ 8 इंच”
वजन/भार (लगभग) 68 कि० ग्रा०
आँखों का रंग गहरा भूरा
बालों का रंग सफ़ेद
व्यक्तिगत जीवन
जन्मस्थान - परौख, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश, भारत
राशि - तुला
कॉलेज/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय - कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर
शैक्षिक योग्यता - कॉमर्स में स्नातक , एल-एल-बी
भाई- 4
बहन- 3
जाति - अनुसूचित जाति (कोली, एक बुनकर समुदाय)
पत्नी - सविता कोविंद, अवकाश-प्राप्त सरकारी कर्मचारी (विवाहित, 1974-अब तक)
विवाह तिथि - 30 मई 1974
बच्चे पुत्र- प्रशांत कुमार , पुत्री- स्वाति
सादगी भरा जीवन जीना पसंद
रामनाथ कोविंद के बड़े भाई प्यारेलाल अपने बेटे पंकज के साथ झींझक में रहते हैं। पंकज की कपड़े की दुकान है। दूसरे भाई मोहनलाल के बेटे सुरेश की भी झींझक में कपड़े की दुकान है। इतनी बड़ी हस्ती के सगे संबंधी होने के बावजूद दोनों सादगी से जीवन यापन कर रहे हैं। रामनाथ कोविंद को लौकी और पालक की सब्जी बहुत पसंद है। वे सादा खाना ही पसंद करते हैं।