नई दिल्ली । बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के साथ अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती जैसे बड़े नाम का जुड़ना पार्टी के लिए काफी लाभदायी साबित होगा । मिथुन बॉलीवुड के ऐसे अभिनेताओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने शुरुआती जीवन में नक्सली विचारधारा के साथ खुद को बताया था । , लेकिन अब वह भाजपा के साथ जुड़ गए हैं । एक समय वह नक्सली गतिविधियों के चलते पुलिस से छिपे भी थे और उन्हें पुलिस से बचने के लिए यहां वहां भागना भी पड़ा था । लेकिन अब मिथुन भाजपा का दामन थामकर बंगाल में भाजपा की सरकार बनाने का लक्ष्य लेकर सियासी समर में कूद गए हैं । ममता बनर्जी के खिलाफ कमर कसते हुए आने वाले दिनों में वह नंदीग्राम में 12 मार्च से अपने अभियान शुरू करने जा रहे हैं ।
बता दें कि 16 जुलाई 1950 को जन्मे मिथुन का बचपन अल्ट्रा लेफ्ट विचारधारा के प्रभाव के बीच गुजरा । मिथुन समेत बंगाल के कई युवा इस चरमपंथी विचारधारा के साथ आ गए थे, जिसने एक आंदोलन का रूप ले लिया था , लेकिन अपनी भाई की मौत के बाद उनका इस सब से मन हट गया । इतना ही नहीं नक्सली विचारधारा वालों पर पुलिस की सख्ती के कारण मिथुन को उस दौरान छिपना भी पड़ा । पुलिस ने भी उन्हें भगोड़ा कह दिया था ।
मिथुन का कहना है कि 70 के दशक में उनपर नक्सली होने का ठप्पा लग गया था । बावजूद इसके उन्होंने एफटीटीआई पुणे से कोर्स किया और बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए मेहनत करने लगे । हालांकि तब से लेकर अब से थोड़े समय तक भाजपा के कई नेता उन्हें अर्बन नक्सली ही मानते रहे हैं , लेकिन अब उन्होंने भाजपा का दामन थाम बहुत से लोगों को गलत साबित कर दिया है । हालांकि 2014 में वह टीएमसी के टिकट पर ही राज्यसभा जा चुके हैं ।
इस बार के बंगाल विधानसभा चुनावों में वह ममता बनर्जी के खिलाफ जमकर प्रचार करने वाले हैं , जिसकी शुरुआत वह 12 मार्च से नंदीग्राम में एक चुनाव प्रचार अभियान से करेंगे। वह भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के लिए इस सीट पर चुनाव प्रचार से अपने इस राजनीतिक जीवन की शुरुआत करेंगे । इसी सीट से ममता भी चुनावों में उतर रही हैं ।
बहरहाल , बंगाल में 8 चरणों में होने वाले इस बार के चुनाव में मिथुन का जादू किस तरह चलेगा यह तो आने वाले समय बताएगा , लेकिन एक एक करके ममता के करीबियों का भाजपा में शामिल होना TMC के लिए कोई अच्छा संकेत नहीं दिख रहा है ।