नई दिल्ली । पुलवामा में हुए आतंकी हमले में मारे गए जवानों को लेकर देश इस समय गुस्से में है। ...क्या आपने गौर किया कि हमने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले 'शहीदों' को हमले में मारे गए जवान लिखा है....जी हैं, असल में दस्तावेजों में यह जवान शहीद नहीं बल्कि इनकी आतंकी हमले में मौत मानी जाएगी। बता दें कि देश में शहीद के दर्जे को लेकर भी भेदभाव नजर आता है। देश की सेना में शामिल जवान अगर किसी कार्रवाई में मारा जाता है तो उसे शहीद का दर्जा मिलता है। जबकि पैरामिलिट्री मसलन CRPF और BSF के जवानों की नक्सलियों या आतंकियों से लौहा लेते हुए मौत होती है तो उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता। इतना ही नहीं दस्तावेजों में भी इन्हें शहीद नहीं लिखा जाता ।
बता दें कि देश में सेना और पैलामिलिट्रि के जवानों के लिए अलग-अलग नियमावली है। जहां सेना के जवान को पेंशन , इलाज , कैंटीन आदि की सुविधाएं दी जाति हैं, वहीं पैरामिलिट्री के जवानों के लिए यह सुविधाएं नहीं होती हैं। वहीं सेना के जवान को पूरी उम्र तक इन सुविधाओं का लाभ मिलता है।
राहुल गांधी LIVE - आतंकियों पर कार्रवाई के लिए हम मोदी सरकार और भारतीय सेना के साथ खड़े हैं, भारत को कोई बांट नहीं सकता
असल में सेना देश के बाहरी खतरों से रक्षा के लिए माना जाता है, जबकि पैरामिलिट्री के जवानों को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है। नियमों के तहत अगर बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान देश में किसी आंतकी या नक्सली हिंसा या हमले के दौरान मारे जाते हैं तो उनकी सिर्फ मौत कही जाती है, उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिलता। जबकि सेना में शामिल जवानों को शहीद का दर्जा दिया जाता है।
PM मोदी LIVE - आतंकियों ने बहुत बड़ी गलती की, उतनी ही बड़ी सजा मिलेगी, सेना को दी पूरी छूट
इतना ही नहीं सेना के शहीद जवानों के परिजनों को जहां राज्य सरकार में नौकरी में कोटा समेत शिक्षण संस्थानों में सीटें आरक्षित मिलती हैं। वहीं पैरामिलिट्री के जवानों के लिए इस तरह की कोई सुविधा नहीं है। दुखद बात यह है कि इन पैरामिलिट्री के जवानों को पेंशन की भी कोई सुविधा नहीं है। जब से सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद हुई है, तब से सीआरपीएफ-बीएसएफ की पेंशन भी बंद कर दी गई। हालकि सिर्फि सेना को इस दायरे से बाहर रखा गया है।