पटना । बिहार की सियासत में हाल में दिनों में जारी घमासान के बीच नीतीश कुमार फंस गए हैं । मात्र 45 सीटों के साथ सत्ता संभाल रहे नीतीश कुमार के लिए मौजूदा स्थिति "इधर कुआँ , उधर खाई " वाली हो गई है । केंद्र में कद बढ़ाने की मांग खारिज होने के बाद नीतीश कुमार ने कई मुद्दों के साथ भाजपा से अलग होने का ऐलान कर दिया है । लेकिन अब सियासी जानकारों का मानना है कि गृहमंत्रालय पद की जिद पर अड़े तेजस्वी यादव उन्हें जीनें'' नहीं देंगे और भाजपा उनके पलटू चरित्र को लेकर ''मरने'' नहीं देगी । आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा इसे मुद्दा बनाते हुए मैदान में उतरेगी तो तेजस्वी यादव इस बार नीतीश कुमार के सियासी हालात को देखते हुए उनके काम में दखल देना बंद नहीं करेंगे । ऐसे में आने वाले दिनों नीतीश कुमार के लिए काम करना आसान नहीं होगा ।
तेजस्वी को डिप्टी सीएम और गृहमंत्रालय
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि महागठबंधन की नई सरकार का फॉर्मूला भी तैयार कर लिया गया है । भले ही तेजस्वी गृहमंत्रालय लेने की जिद पर अड़े हुए हों , लेकिन इस बार सियासी रूप से कमजोर नजर आ रहे नीतीश कुमार तेजस्वी को गृहमंत्रालय के साथ ही डिप्टी सीएम पद भी देने जा रहे हैं । हालांकि यह पहला मौका होगा जब नीतीश कुमार के सत्ता में रहते हुए गृहमंत्रालय पद किसी दूसरे नेता को दिया जाएगा ।
क्या निभा पाएंगे नीतीश
जिस तरह भाजपा ने 77 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद महज 45 सीट जीतने वाली जदयू के प्रमुख नीतीश कुमार को सुबे की कमान सौंप दी , इसके बाद से यह कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा सरकार में दखल रखेगी । नीतीश कुमार भी कुछ इसी तरह का इशारा कर रहे हैं कि भाजपा उन्हें अपमानित करती थी । लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या पिछले कुछ सालों तक विपक्षी दलों पर सवाल उठाने वाले नीतीश कुमार आज उन्हीं के साथ निभा पाएंगे । तेजस्वी और तेज प्रताप यादव ने जिस तरह उनपर लगातार तंज कसे और आरोप लगाए क्या आज वह इनके साथ मंच साझा कर सकेंगे ।
शाम 6 बजे जुटेंगे महागठबंधन के नेता
अभी अभी खबर मिली है कि राज्यपाल से मिलने के बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव महागठबंधन में शामिल होने वाले सभी नेताओं के साथ एक बैठक करेंगे । यह बैठक नीतीश कुमार के आवास पर होने जा रही है । इस बैठक में कांग्रेस - लेफ्ट , हम , समेत कुछ निर्दलीय नेता शामिल होंगे ।
एक दूसरे पर तीखे बयान करते रहें हैं नीतीश तेजस्वी
विदित हो कि राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन को तोड़ते हुए भाजपा के साथ नई सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार ने एक बार फिर से पलटी मारी है । अब नीतीश कुमार ने भाजपा को झटकते हुए फिर से राजद व अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की रणनीति बनाई है । हालांकि एक समय था जब नीतीश कुमार और राजद के नेता तेजस्वी यादव हर रोज एक दूसरे पर तीखे बयान देते थे , लेकिन आज फिर से दोनों साथ आकर सरकार बनाने की जुगत में हैं ।
कुछ ऐसा होगा नया सरकार का अंक गणित
बिहार में 243 सीटों वाली विधानसभा में पिछली बार लालू की राष्ट्रीय जनता दल सबसे ज्यादा 79 सीटें जीती थी , जिसके बाद दूसरे नंबर पर भाजपा ने 77 सीटों पर कब्जा किया था । लेकिन अब जदयू भाजपा के साथ गठबंधन को तोड़ रही है तो मात्र 45 सीटों पर जीती जदयू को सरकार बनाने के लिए कुछ कुर्बानियां भी देनी पड़ सकती हैं ।
कुल सीट - 243
जदयू - 45
राजद - 79
कांग्रेस - 19
सीबीआई (माले) 12
हम - 4
वहीं भाजपा 77 सीटों पर जीती हुई है ।
भाजपा ने हमेशा अपमानित किया
विदित हो कि सुबे में भाजपा के साथ अपने गठंबधन को खत्म करने का ऐलान करने के साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा ने हमेशा अपमानित किया है । इतना ही नहीं भाजपा ने जेडीयू को खत्म करने की साजिश रची । अब तक मैं पार्टी को बचाता रहा अपने आप को बचाता रहा लेकिन अब हद पार हो गई थी ।
तेजस्वी जो फैसला लेंगे स्वीकार
वहीं महागठबंधन की बैठक में आरजेडी के विधायक, एमएलसी और राज्यसभा सांसदों ने तेजस्वी यादव को फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है । इस दौरान सभी नेताओं ने कहा है कि वे तेजस्वी के साथ है. उधर, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के विधायकों ने भी तेजस्वी यादव को समर्थन देने का ऐलान किया है । बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार की जदयू और राजद में सरकार गठन के फॉर्मूले पर चर्चा हो रही है । राजद नेता तेजस्वी यादव ने गृह मंत्रालय मांगा है. वहीं, तेज प्रताप को भी सरकार में जगह मिल सकती है ।
कांग्रेस कोटे से स्पीकर बन सकता है
कांग्रेस पहले ही महागठबंधन सरकार बनने पर अपना समर्थन देने को तैयार थी , लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि उन्होंने जदयू के साथ नए गठबंधन के समर्थन वाला पत्र भी नीतीश कुमार को दे दिया है । इसके साथ ही खबर है कि बिहार में नई सरकार का फॉर्मूला भी तय कर लिया गया है ।
ये है भाजपा जदयू में गतिरोध का कारण
असल में पिछले डेढ़ साल में भाजपा और जदयू के बयान हर मुद्दे पर अलग अलग आ रहे थे , जिससे दोनों दलों के बीच जारी गतिरोध सामने नजर आने लगा था । हाल फिलहाल की घटनाओं की बात की जाए तो पहले स्पीकर के साथ नीतीश की कहा सुनी, उसके बाद अग्निपथ योजना के दौरान भाजपा नेताओं के द्वारा नीतीश पर सवाल उठाना और बाद में उनमें से तमाम नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान करना, इसके साथ ही राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से भी नीतीश की अपनी उम्मीदें थी । इस सबसे साफ है कि एक-एक कर तमाम ऐसे मुद्दे रहे हैं जिसकी वजह से भाजपा और जेडीयू के बीच में दूरी बढ़ती चली गई । हालांकि कोशिश जरूर की गई कि इस दूरी को पाटा जा सके लेकिन ऐसा हो नहीं सका ।