नई दिल्ली । अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद शुक्रवार को तालिबानी नेताओं ने अपनी नई सरकार का खांचा खींच लिया। सामने आया कि मुल्ला बिरादर सरकार का नेतृत्व करेंगे । इतना ही नहीं इस दौरान तालिबान सरकार ने अपने इरादों को भी साफ कर दिया । तालिबानी प्रवक्ता ने आज अपने एक बयान में चीन को अपना सबसे करीबी दोस्त बताया और साफ किया कि वह चीन के साथ अपनी दोस्ती बढ़ाने का पक्षधर है । इतना ही नहीं तालिबान ने एक बार फिर से कश्मीर के मुद्दे पर बोलना शुरू कर दिया है, इस सबके बीच अब भारत के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
विदित हो कि शुक्रवार को जुम्मे की नमाज से पहले तालिबान ने ऐलान कर दिया कि मुल्ला अब्दुल गनी बिरादर तालिबान की नई गठित सरकार का नेतृत्व करेंगे । तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद (Zabihullah Mujahid ) ने इस मौके पर अपना एक बयान जारी किया है , जिसमें उन्होंने साफ किया कि नई सरकार का गठन शनिवार को हो जाएगा । हालांकि नई सरकार के गठन से पहले तालिबानी प्रवक्ता ने जो कहा , उससे तालिबान की मंशा साफ हो गई है । जबीहुल्ला मुजाहिद ने इस दौरान चीन को अपना सबसे बड़ा साथी बता दिया । करीब दो दशक बाद सत्ता में आए तालिबान ने इस समय बर्बादी की कगार पर खड़े अफगानिस्तान को फिर खड़ा करने की जिम्मेदारी चीन को सौंपने की तैयारी की है । एक न्यूज पोर्टल से बातचीत में तालिबानी प्रवक्ता ने कहा – चीन हमारा सबसे महत्वपूर्ण साथी रहा है । यह हमारे लिए भी एक सुनहरा मौका हो सकता है । चीन हमारे देश में निवेश करके फिर से खड़ा कर सकता है।
असल में मौजूदा दौर में चीन की नजर भी अफगानिस्तान के उस खजाने पर है , जिसे कॉपर माइन कहा जा रहा है । चीन कॉपर माइन को नई तकनीक की मदद से अपग्रेड कर सकता है , जिसका लाभ न केवल अफगानिस्तान को होगा बल्कि चीन भी जमकर लाभ कमाएगा । यही कारण है कि तालिबान चीन के साथ अपनी दोस्ती को बढ़ाने की रणनीति बना रहा है , वहीं चीन भी भारत को घेरने के लिए ऐसे मौकों की तलाश में रहता है।
लेकिन यह बात सही है कि भारत के लिए यह एक नई और बड़ी चुनौती होगी । तालिबान चीन के हर उस प्रोजेक्ट का समर्थन करता है, जिसका भारत विरोध करता आया है । ऐसे में चीन और तालिबान का करीब आना भारत के लिए काफी चुनौती भरा होने जा रहा है ।
चीन भी मौके की नजाकत को समझ रहा है । चीन के विदेश मंत्री ने हाल में बयान दिया है कि वह अफगानिस्तान के निजी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा , लेकिन अफगानी लोगों के साथ अपनी दोस्ती निभाएगा ।
वहीं आने वाले दिनों में चीन के कुछ विवाद प्रोजेक्ट को लेकर फिर से विवाद खड़ा हो सकता है , क्योंकि चीन अपना समर्थन बढ़ाने की कोशिश में जुटेगा , जिसमें अब अफगानिस्तान भी उनका साथ देगा और भारत विरोध करेगा । इसमें चीन का वन बेल्ट वन रोड प्रोजक्ट एक हो सकता है, जिसका भारत विरोध करता आया है , लेकिन तालिबान ने इसे अच्छा प्रस्ताव बताया है।