नई दिल्ली । कोरोना को महामारी घोषित किए जाने के बाद से अब तक दुनिया भर में करीब 50 हजार लोगों की मौत हो गई है , जबकि भारत में यह आंकड़ा 56 पर पहुंच गया है । पूरी दुनिया में इस वायरस ने लॉक डाउन करवा दिया है । पूरी दुनिया इस समय ठहरी हुई है । इस सबके बीच एक अच्छी रिपोर्ट सामने आई है । असल में इस बात का खुलासा हुआ है कि दुनिया में लॉकडाउन के चलते इन दिनों हमारी धरती लॉकडाउन की तुलना में पहले से कम कांप रही है। भूकंप वैज्ञानिकों की कहना है कि इस समय दुनिया भर में कम हुए ध्वनि प्रदूषण के चलते वे बहुत छोटे छोटे भूकंप को भी मांपने में सफल साबित हो रहे हैं , जबकि इससे पहले ये भी बड़ी मुश्किल से संभव हो पाता था ।
डेली मेल में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक , ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे ने दुनिया के कुछ देशों के भूगर्भ वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कुछ अहम जानकारी जुटाई है । सामने आया है कि कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से ध्वनि प्रदूषण कम हुआ है ।
रिपोर्ट के मुताबिक , वैज्ञानिकों ने लंदन, पेरिस, लॉस एंजिल्स, बेल्जियम और न्यूजीलैंड में भूकंप सूचक यंत्र के जरिए इस बात का खुलासा किया है कि इस समय यानी लॉकडाउन के दौरान धरती का कंपन कम हो गया है । इन सभी जगहों पर ऐसी ही रीडिंग मिली । रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय धरती पर इस समय धरती पर इतनी कम आवाज है जो पिछले कई दशकों में रिकॉर्ड नहीं हुई है । आम दिनों में देश दुनिया में सड़कों पर यातयात के साथ ही समुंद्री , हवाई यातायात जारी रहता है , जिसके चलते ध्वनि प्रदूषण बहुत होता था । इस सबके चलते पृथ्वी ज्यादा कांपती थी , लेकिन इन दिनों ऐसा कुछ नहीं हो रहा । लॉकडाउन के समय पूरी दुनिया में इतनी कम आवाज है कि लोगों को शांति मिल रही है।
बेल्जियम के रॉयल ऑब्जर्वेटरी के भूगर्भ विज्ञानी थॉमस लेकॉक ने एक ऐसा यंत्र विकसित किया है जो धरती की कंपन और आवाजों में हो रहे बदलावों का अध्ययन करता है। साथ ही दोनों के बीच के अंतर को दिखाता है । थॉमस लेकॉक बताते हैं कि आम दिनों में इंसानों द्वारा इतना शोर होता है कि हम धरती के मामूली कंपन को भी नहीं जांच पाते थे । हमारे यंत्रों में हल्का कंपन भी पता नहीं चलता था , लेकिन अब लॉकडाउन के समय हम धरती की हल्की कंपकंपी को भी नोट कर पा रहे हैं