नई दिल्ली । भीषण गर्मी के साथ बिजली कटौती बढ़ने से दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान तमाम राज्यों में हाहाकार मचा हुआ है. राज्यों के पास कोयले की कमी को बिजली कटौती की एक बड़ी वजह बताया जा रहा है. दिल्ली ने यहां तक कह दिया है कि उसके कई प्लांट के पास एक दिन का ही कोयला बचा है, ऐसे में अगर जल्द स्थिति न सुधरी तो मेट्रो, अस्पतालों समेत तमाम जरूरी संस्थानों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाएगा. इसे लेकर सियासत भी गर्म है. इस बीच, राज्यों को कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रेलवे ने एक बड़ा कदम उठाया है.
राज्य की तरफ से कोयले की कमी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने के बीच केंद्र ने साफ किया है कि देश में कोयले के स्टॉक की कोई कमी नहीं है. केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि केंद्र प्रतिदिन हर घंटे के हिसाब से स्थिति की समीक्षा कर रहा है. उनके मुताबिक स्थिति नियंत्रण में हैं और बिजली संयंत्रों के पास 9-10 दिन का स्टॉक है. वहीं कोयला मंत्रालय के पास 30 दिन का स्टॉक है. राज्यों की जरूरत को देखते हुए इसकी आपूर्ति के हरसंभव प्रयास हो रहे हैं. रेलवे की तरफ से भी इसके लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यादा से ज्यादा ट्रेनों को कोयला आपूर्ति के लिए रास्ता मिल सके, इसके लिए तमाम यात्री गाड़ियों को रद्द किया गया है. जानकारी के मुताबिक अब तक 270 यात्री ट्रेनों को रद्द किया जा चुका है. यही नहीं, रेलवे ने प्रतिदिन कोयला ढोने वाली ट्रेनों की औसत लोडिंग भी बढ़ाकर 400 तक कर दी है. यह कवायद अगले एक-दो महीनों तक जारी रहने के आसार है, ताकि जुलाई-अगस्त तक बिजली संयंत्रों में कोयले की कोई कमी न हो पाए.
सिर्फ एक दिन का स्टॉक बचा
दिल्ली में गहराते संकट पर बैठक के एक दिन बाद पत्रकारों से बातचीत में बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोयले का 21 दिन का स्टॉक होना चाहिए लेकिन दिल्ली के कई पॉवर प्लांट में सिर्फ एक दिन का स्टॉक बचा है. उन्होंने आगाह किया कि एक दिन के बैकअप के साथ बिजली संयंत्र काम नहीं कर सकते हैं. अप्रैल माह में पहली बार दिल्ली की पीक डिमांड 6000 मेगावाट पहुंच चुकी है. इस बीच मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी कहा है कि स्थिति गंभीर है लेकिन लोगों को कोई परेशानी न हो इसके उपाय निकालने की कोशिश की जा रही है. इस बीच, नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) ने दिल्ली सरकार के इस दावे को गलत बताया कि उसके दो बिजली संयंत्रों में एक-दो दिन का ही स्टॉक बचा है.
बिजली संकट में रूस-यूक्रेन युद्ध का क्या है कनेक्शन
गौरतलब है कि केंद्रीय कोयला सचिव भी हाल में कह चुके हैं कि बिजली संकट के लिए कोयले की कमी जैसी कोई बात नहीं है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कोयला संकट ही इसकी एक बड़ी वजह है, क्योंकि देश में 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है. देश में कोयला संकट बढ़ने के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. क्योंकि बिजली उत्पादन के लिए जरूरी कोयले में से करीब 25 फीसदी का आयात किया जाता है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आयातित कोयले के दाम पिछले साल की तुलना में बढ़कर दोगुने हो गए हैं, जिससे कंपनियों के लिए आयातित कोयला खरीदना उपयुक्त विकल्प नहीं रहा है. एक अनुमान के मुताबिक इस समय बिजली संयंत्रों का स्टॉक पिछले एक दशक में सबसे कम है.
बिजली बचाने की जा रही अपील
बिजली संकट के बीच राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है. उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल सपा ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि डबल इंजन की सरकार का दावा करने वाले बिजली भी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट करके कहा है, ‘बिजली संकट के बीच प्रदेश भाजपा बिजलीघरों में प्रदर्शन करके चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम कर रहे बिजली कर्मियों पर अनावश्यक दबाव बना रहे हैं.’ साथ सवाल किया कि क्या प्रदेश भाजपा अपने केंद्रीय नेतृत्व से इस बारे में सवाल करेगी कि वह कोयला उपलब्ध कराने में अक्षम क्यों है. मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों से भीषण गर्मी और बिजली की किल्लत के बीच राज्यों से बिजली बचाने की अपील की है. यूपी के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने भी शुक्रवार को एक ट्वीट कर लोगों को बिजली बचाने की अपील की. गर्मी के कारण बिजली मांग बढ़ी है और कई संयंत्र तकनीकी कारणों से बंद पड़े हैं. बिजली कर्मी निर्बाध आपूर्ति के हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. सभी लोग बिजली बचाने का प्रयास करें.