नई दिल्ली । कोरोना काल के बीच जहां देश में कई तरह के परिवर्तन किए जा रहे हैं , इसी क्रम में अब हमारी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के नियमों में भी अहम बदलाव किए जा रहे हैं । ये बदलाव आगामी 1 अक्तूबर से लागू होंगे । बीमा नियामक प्राधिकरण इरडा (IRDAI) ने उन नियमों में बदलाव किया है । इसके बाद अब संभावना जताई जा रही है कि इससे सीधा लाभ लोगों को मिलेगा । इस तरह की जानकारी मिल रही है इन बदलावों के बाद अब बीमा कंपनियां अपनी मनमर्जी से लोगों के क्लेम को खारिज नहीं कर पाएंगी ।
बता दें कि कोरोना काल में बीमा नियामक प्राधिकरण इरडा (IRDAI) ने हमारी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के नियमों में बदलाव किए हैं । मिली जानकारी के अनुसार , अब ज्यादातर बीमारियों को आपके स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत कवर किया जाएगा । नए नियमों के अनुसार , बीमा कवर से बाहर वाली स्थाई बीमारियों की संख्या अब घटकर 17 रह जाएगी । इतना ही नहीं इस तरह की भी जानकारी मिल रही है कि अब एक पॉलिसी की सीमा के बाद बाकी का क्लेम दूसरी कंपनी से मुमकिन हो सकेगा । वहीं डिडक्शन हुए क्लेम को भी दूसरी कंपनी से लेने का अधिकार होगा ।
चलिए बताते है इरडा ने नियमों में क्या क्या बदलाव किए हैं...
- नए नियमों के तहत अब ज्यादा बीमारियों के इलाज के लिए क्लेम मिलेगा ।
- लगातार 8 साल तक पॉलिसी चलाने पर ग्राहक का क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा।
- हालांकि इस सबके चलते बीमा प्रीमियम की दरों में इजाफा होगा ।
- नए प्रोडक्ट्स में 5 से 20 परसेंट तक प्रीमियम बढ़ने की आशंका है ।
- कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियों की संख्या घटकर 17 रह जाएगी ।
- अभी किसी पॉलिसी में एक्सक्लूजन 10 हैं तो 17 होने पर प्रीमियम घटेगा।
- अगर अभी पॉलिसी में 30 एक्सक्लूजन हैं तो 17 होने पर प्रीमियम बढ़ेगा ।
- इरडा के नए नियमों के अनुसार , अब मानसिक, जेनेटिक बीमारी, न्यूरो संबंधी विकार जैसी गंभीर बीमारियों के लिए भी पॉलिसी कवर मिलेगा ।
- न्यूरो डिसऑर्डर, ऑरल केमोथेरेपी, रोबोटिक सर्ज़री, स्टेम सेल थेरेपी का भी कवर शामिल ।
इनका भी ले सकेंगे क्लेम
- नए नियमों के अंतर्गत अब फार्मेसी, इंप्लांट और डायग्नोस्टिक एसोसिएट मेडिकल खर्च में शामिल नहीं होंगे ।
- फार्मेसी, इंप्लांट और डायग्नोस्टिक से जुड़ा पूरा खर्च क्लेम में मिलेगा ।
- क्लेम में ICU चार्जेस के भी अनुपात में कटौती नहीं होगी.
- 4 साल पहले हुई बीमारी भी प्री एग्जिस्टिंग में शामिल ।
- 48 महीने पहले डॉक्टर की बताई गई कोई भी बीमारी को पॉलिसी के तहत प्री-एग्जिस्टिंग ।
- पॉलिसी जारी होने के तीन महीने के भीतर लक्षण पर प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी माना जाएगा ।
- 8 साल पूरे होने के बाद पॉलिसी को लेकर कोई पुनर्विचार लागू नहीं होगा ।
- 8 साल तक रीन्युअल तो गलत जानकारी का बहाना नहीं चलेगा ।
- एक से ज्यादा कंपनी की पॉलिसी होने पर ग्राहक के पास क्लेम चुनने का अधिकार होगा ।
- 30 दिन में क्लेम स्वीकार या रिजेक्ट जरूरी ।
- एक कंपनी के प्रोडक्ट में माइग्रेशन तो पुराना वेटिंग पीरियड जुड़ेगा ।
- इलाज के पहले और बाद टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल का खर्च भी क्लेम का हिस्सा माना जाएगा । इतना ही नहीं OPD कवरेज वाली पॉलिसी में टेलीमेडिसिन का पूरा खर्च मिलेगा ।