नई दिल्ली । एक समय , भारत के कुछ राज्यों में भ्रूण हत्या के मामलों ने देश की छवि को धुमिल किया था , लेकिन हाल में जारी हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों ने इस पुरानी छवि को पूरी तरह बदल दिया है । जारी वर्ष 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) की फैक्टशीट में पहली बार भारत की आबादी में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है । जबकि NFHS-4 में प्रति 1000 पुरुषों की आबादी में महिलाओं की संख्या 991 थी । हालांकि इस दौरान सामने आया है कि महिलाओं की प्रजनन दर में गिरावट दर्ज की गई है । प्रजनन दर 2.2 से गिरकर 2 पर पहुंच गई है ।
पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश
असल में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ विनोद कुमार पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की फैक्टशीट जारी की । सर्वे के पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में एनएफएचएस-5 के निष्कर्ष दिसंबर 2020 में जारी किए गए थे ।
फेस -2 में इन राज्यों का सर्वे
इसी क्रम में फेस 2 में अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुद्दुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का सर्वेक्षण किया गया । NFHS-5 सर्वे कार्य देश के 707 जिलों (मार्च 2017 तक) के लगभग 6.1 लाख नमूना परिवारों में किया गया है, जिसमें जिला स्तर तक अलग-अलग अनुमान प्रदान करने के लिए 724,115 महिलाओं और 101,839 पुरुषों को शामिल किया गया ।
कुछ ऐसे आंकड़े आए सामने
फैक्टशीट में कुल प्रजनन दर (टीएफआर), राष्ट्रीय स्तर पर प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है और सभी 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ में 1.4 से लेकर उत्तर प्रदेश में 2.4 हो गई है । मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी चरण-II राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है । ओवरऑल कॉन्ट्रासेप्टिव प्रिवलेन्स रेट (सीपीआर) अखिल भारतीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर लगभग सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 54 प्रतिशत से 67 प्रतिशत तक बढ़ गई है ।
अस्पतालों में जन्मदर 10 फीसदी बढ़ासामने आया है कि अखिल भारतीय स्तर पर अस्पतालों में जन्म 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गए हैं. पुद्दुचेरी और तमिलनाडु में अस्पतालों में प्रसव 100 प्रतिशत है और दूसरे चरण के 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 7 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत से अधिक है । अस्पतालों में जन्मों की संख्या वृद्धि के साथ-साथ, कई राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में विशेष रूप से निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में सी-सेक्शन प्रसव में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है ।
गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग बढ़ा
इतना ही नहीं सर्वे में सामने आया है कि लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है । 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच पूर्ण टीकाकरण अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से 76 प्रतिशत तक पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है । 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 12-23 महीने की आयु के पूर्णटीकाकरण वाले तीन-चौथाई से अधिक बच्चे हैं और यह ओडिशा के लिए अधिकतम (90 प्रतिशत) है ।