वाराणसी । दुनिया का पहला ''स्कूल ऑफ राम '' वाराणसी में खुल चुका है । इस स्कूल की खास बात यह है कि यहां एक महीने वाले ऐसे सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत की गई है , जिसमें किसी धार्मिक ग्रंथ को वैज्ञानिक प्रयोग के माध्यम से समझने का मौका मिलेगा । इस कोर्स (Online Course) में रामचरितमानस की चौपाइयों से भौतिक विज्ञान की गुत्थियां सुलझाई जाएंगी । यह अपने आप में एक अनोखा प्रयोग है ।
विदित हो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के अंतर्गत भारतीय संस्कृति को पाठ्यक्रम में शामिल करने और भारत केंद्रित शिक्षा देने की बात की गई है । इसी उद्देश्य से वाराणसी में खुले स्कूल ऑफ राम में एक नया कोर्स शुरू किया गया है ।
इस कोर्स में रामचरितमानस में भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों को शामिल किया गया है , जिसमें गति के नियम, प्रकाशिकी, वाष्पीकरण, मृगमरीचिका, वैमानिकी, इंजीनियर, ऊर्जा, चुंबकत्व आदि को रामचरितमानस की चौपाइयों से समझाया जाएगा.
स्कूल के संस्थापक और बीएचयू छात्र प्रिंस तिवाड़ी ने बताया, 'महान गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी एवं दार्शनिक सर आइजक न्यूटन ने भले ही साल 1687 में अपने शोध पत्र प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांत से गुरुत्वाकर्षण और गति के नियमों की गुत्थी सुलझा दी थी ।
साथ ही यह भी साबित किया था कि सभी सिद्धांत प्रकृति से जुड़े हैं । हालांकि इसके बावजूद आज भी गणित, भौतिक विज्ञान की के बुनियादी सिद्धांतों की जटिलता बनी हुई है । स्कूल ऑफ राम इन्हीं विज्ञान के सिद्धांतों के सिरे अब श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से खोलने जा रहा है।'