न्यूज डेस्क । आखिर वह दिन अब दूर नहीं जब अयोध्या पूरे भारत के पर्यटन का केंद्र बनेगा । असल में राम मंदिर को लेकर कई दशकों से जारी विवाद और संघर्ष के बाद दुनियाभर के करोड़ों राम भक्तों का सपना साकार होने जा रहा है । अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना शुरू हो गया है । लेकिन इस मंदिर में रामलला की जो प्रतिमा स्थापित की जाएगी , उसे लेकर अब ताजा अपडेट सामने आ रहे हैं । खबर है कि इस ऐतिहासिक मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की विशाल प्रतिमा , जिस पत्थर से बनेगी , वह नेपाल से लाया जा रहा है । नेपाली अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक इस पत्थर को हासिल करने के लिए सबसे पहले नेपाल के म्याग्दी में शास्त्र सम्मत क्षमापूजा की गई ।
जियोलॉजिकल आर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की नजर में है पत्थर
बता दें कि नेपाल से लाए जा रहे इस ऐतिहासिक पत्थर जियोलॉजिकल और आर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में हुई खुदाई में मिली शिला है , जिसे एक बड़े ट्रक में रखकर पूरे सम्मान के साथ अयोध्या लाया जा रहा है । जहां जहां से ये शिला यात्रा गुजर रही है, पूरे रास्ते में श्रद्धालु उसका दर्शन और पूजन कर रहे हैं ।
नहीं आया कोई आधिकारिक बयान
इस पत्थर को लेकर हालांकि अभी तक कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है । ट्रस्ट से जुड़े चंपत राय का कहना है कि भगवान राम की प्रतिमा निलांबुज श्यामल कोमलंगम के तर्ज पर लगभग 5 फुट ऊंची बालस्वरूप में बनाई जाएगी । मूर्ति में कौन सा पत्थर लगेगा, मूर्ति का निर्माण कौन करेगा इसको लेकर राय ने बीते दिनों हुई ट्रस्ट की बैठक में कहा था कि, मूर्ति के लिए पत्थर की तलाश की जा रही है और मूर्ति बनाने के लिए देश के पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित मूर्तिकरो को जिम्मेदारी दी गई है ।
नेपाल सरकार ने रखा था प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते साल नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री बिमलेन्द्र निधि ने राम मन्दिर निर्माण ट्रस्ट के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था कि नेपाल में ये परंपरा है कि शादी के बाद भी अगर बेटी के घर में कोई शुभ कार्य हो रहा हो या कोई पर्व त्यौहार हो रहा हो तो उसके मायके से हर पर्व त्यौहार और शुभ कार्य में कुछ भेंट या संदेश किसी ना किसी रूप में दिया जाता है, इसलिए अयोध्या में बन रहे मंदिर में जनकपुर और नेपाल का कुछ अंश रहे इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए ।
काली गण्डकी नदी किनारे शालीग्राम का पत्थर
भारत सरकार और राममंदिर ट्रस्ट की तरफ से हरी झण्डी मिलते ही नेपाल में यह तय किया गया कि उनके यहां काली गण्डकी नदी के किनारे शालीग्राम के पत्थर को भारत राम लला की प्रतिमा बनाने के लिए भेजा जाएगा । कैबिनेट से इसकी मंजूरी मिलने के बाद इस पत्थर का चयन हुआ है । खबर है कि यह पत्थर साढ़े 6 करोड़ वर्ष पुराना है और इसकी आयु अभी भी एक लाख वर्ष तक रहने की बात बताई गई है ।