Thursday, April 25, 2024

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डूम्स डे ग्लेशियर में आई दरारें , टूटकर गिरेगा एक बड़े शहर के बराबर का हिस्सा , समुद्र किनारे के कई शहर डूबेंगे 

डूम्स डे ग्लेशियर में आई दरारें , टूटकर गिरेगा एक बड़े शहर के बराबर का हिस्सा , समुद्र किनारे के कई शहर डूबेंगे 

नई दिल्ली । दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग का असर रूक रूककर नजर आने लगा है । इसी क्रम में एक और डराने वाली बड़ी खबर आई है । यह खबर है अमेरिका से । जानकारी मिली है कि इस समय अंटार्कटिका के थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier) से एक बड़ी दरार आ गई है । अगर इसका एक बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे गिरा तो उसका आकार करीब फ्लोरिडा शहर के बराबर होगा , जिसके अगले कुछ सालों में गिरने की आशंका है । इस ग्लेशियर को  डूम्स-डे ग्लेशियर (Doomsday Glacier) के नाम से जाना जाता है । वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ये ग्लेशियर गिरा तो यह बात साफ है कि वैश्विक रूप से समुद्र के जलस्तर में एकाएक काफी वृद्धि होगी । इस संकट के चलते समुंद्र के करीब वाले कई इलाके डूब सकते हैं और लोगों को विस्थापित होना पड़ सकता है । 

विदेशी मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक , महासागरों के गर्म होने से थ्वाइट्स ईस्टर्न आइस शेल्फ (TIES) सबमरीन शोल, या बैंक पर अपनी पकड़ खो रहा है, जो इसे शेष ग्लेशियर से जोड़े रखने के लिए एक पिनिंग पॉइंट के रूप में कार्य करते हैं । यही कारण है कि इसमें दरारें आ रही हैं । 

अमेरिकी भू-भौतिकीय यूनियन (American Geophysical Union) की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत सैटेलाइट तस्वीरों से TIES की बड़ी दरारों के बारे में पता चला है । बैठक में शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर यह तैरता हुआ आइस शेल्फ टूट जाता है, तो समुद्र के जल स्तर में करीब 5% की वृद्धि हो जाएगी ।  

जानकारों का कहना है कि अगले एक दशक से भी कम समय में इस ग्लेशियर की स्थिति में बदलाव होंगे । थ्वाइट्स ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है और अब इसके एक शहर जितने बड़े हिस्से के टूटने का खतरा भी मंडरा रहा है, जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है । ऑरेगोन स्टेट यूनिवर्सिटी के एरिन पेटिट (Erin Pettit) ने मौजूदा दरारों की तुलना कार की विंडशील्ड से करते हुए कहा कि जिस तरह एक छोटी सी टक्कर से विंडशील्ड सैकड़ों टुकड़ों में बिखर सकती है, वैसा ही कुछ होने वाला है । 


उन्होंने कहा, 'ग्लेशियर का टुकड़ा टूटकर गिरेगा, तो इससे थ्वाइट्स ग्लेशियर का पूर्वी तिहाई हिस्सा और भी तेजी से पिघलने लगेगा । इस घटना से ग्लेशियर पिघलने की स्पीड तीन गुना हो जाएगी ।

वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के बढ़ते तापमान की वजह से थ्वाइट्स ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है, जो पूरी दुनिया के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है । अंटार्कटिका के पश्चिमी इलाके में स्थित ये ग्लेशियर समुद्र के भीतर कई किलोमीटरों की गहराई में डूबा हुआ है और इसमें से लगातार बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानें टूट रही हैं ।

विदित हो कि सन 1980 के बाद से, इसने कम से कम 600 बिलियन टन बर्फ खो दी है । थ्वाइट्स के कुल क्षेत्रफल की बात करें तो ये ब्रिटेन से थोड़ा ही छोटा होगा. ऐसे में इसका पिघलना पूरी दुनिया के तटीय इलाकों को तबाह कर सकता है ।

इस साल की शुरुआत में भी थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites glacier) को लेकर एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि समुद्र के भीतर ग्लेशियर में छेद हो रहे हैं. नासा के वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया था कि ग्लेशियर में एक बड़ा छेद हो चुका है, जो अमेरिका के मैनहट्टन शहर का दो-तिहाई है. इसके अलावा ये 1100 फीट ऊंचा है. इस छेद को देखकर अनुमान लगाया गया था कि पिघली हुई बर्फ लगभग 14 खरब टन रही होगी ।

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