नई दिल्ली । देश के बैंकिंग सिस्टम में सुधार के लिए पिछले कुछ समय से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने कई कड़े कदम उठाए हैं । गत वर्ष वित्तीय लेन-देन में खामियां पाए जाने के बाद आरबीआई ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) पर 6 महीने की पाबंदी लगाई थी । इस सब के बाद अब आरबीआई ने दो दशक पुराने एक बैंक पर भी कुछ ऐसी ही पाबंदी लगा दी है । यह बैंक कोई और नहीं बल्कि बेंगलुरु स्थित श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक है, जिस पर केंद्रीय बैंक ने तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया । अगले 6 माह तक यह बैंक बिना आरबीआई की अनुमति के किसी को कोई लोन नहीं दे सकेगा । इतना ही नहीं इस दौरान बैंक के खाता धारक भी महज 35 हजार रुपये की निकासी कर सकेंगे ।
बता दें कि आरबीआई ने वित्तीय लेनदेन में कथित अनियमितताओं को लेकर बेंगलुरु स्थित श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है । यह बैंक कर्नाटक में अग्रणी सहकारी बैंक की श्रेणी में आता है । इस बैंक की स्थापना 1999 में हुई थी , जिसकी कर्नाटक में 6 शाखाएं हैं । बैंक ने अपनी वेबसाइट पर अपनी कुल नेटवर्थ 100 करोड़ से अधिक बताई है । पिछले कुछ समय से बैंक की वित्तीय अनियमितताओं पर आरबीआई की नजर थी और आखिरकार केंद्रीय बैंक ने इस सहकारी बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया है । आरबीआई ने यह एक्शन बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 की धारा 35 के तहत लिया है । इस धारा के तहत आरबीआई को यह अधिकार है कि वह किसी भी बैंक के खिलाफ अनियमितता की शिकायत पर ऐसी कार्रवाई कर सकता है ।
प्रतिबंध के बाद अब श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक के ग्राहक खाते से सिर्फ 35 हजार रुपये निकाल सकेंगे । यह बैंक अगले छह महीने तक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना न तो कोई नया लोन दे सकता है । इतना ही नहीं बैंक में नए निवेशों की इजाजत पर 6 महीने तक के लिए रोक लगा दी गई है ।
बहरहाल , एक बार फिर से बैंक खाताधारकों को पीएमसी बैंक के खाताधारकों की तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा । बैंक में कई लोगों के लाखों रुपये जमा है और एक बार फिर से बैंक खाताधारकों को अपने रुपयों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करते देखा जाएगा ।