नई दिल्ली । अगर आप ये सोचते हैं कि आपके घर में कोई तंबाकू उत्पाद का इस्तेमाल नहीं करता है, तो आपके बच्चे इन उत्पादों की जद से दूर रहेंगे, तो यह आपका भ्रम है। असल में देशभर में कानून को धता बताते हुए स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू उत्पादों को न बेचने का जो नियम बना है, उसे कोई मानने को राजी नहीं है। सरकारी और निजी स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में भी देश के कई हिस्सों में तंबाकू उत्पाद आसानी से मिल रहे हैं। इतना ही नहीं स्कूल के 100 मीटर के दायरे में इन उत्पादों के विज्ञापन आपके 8 साल के बच्चे के दिलों दिमाग पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। हालांकि इससे पहले एक अन्य अध्ययन में सामने आया था कि स्कूली बच्चों को तंबाकू बेचने वाले प्रमोशन के तौर पर तंबाकू उत्पादों को डिस्काउंट रेट पर और मुफ्त में भी ऑफर कर रहे हैं।
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असल में गैर सरकारी संगठन कंज्यूमर वॉइस और वॉलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन ने देश के 6 राज्यों के 20 शहरों में एक सर्वे और सर्वेक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि देश में तंबाबू उत्पाद को लेकर बनाए गए नियमों की अनदेखी हो रही है। इन संगठनों ने अपने सर्वेक्षण के लिए 20 शहरों के 243 स्कूलों और उनके 100 मीटर के दायरे में मौजूद 487 वेंडरों के ठिकानों की पड़ताल की।
इस दौरान सामने आया कि करीब 56 फीसदी स्कूलों के निकट तंबाकू उत्पाद यानी सिगरेट , बीडी, गुटखा इन छात्रों के लिए भी आसानी से उपलब्ध था। इन एनजीओ ने अपनी जांच में पाया कि अधिकांश पान-बीड़ी की दुकानों पर 52 फीसदी तंबाकू उत्पाद अमेरिका के थे। वहीं 25 फीसदी के करीब उत्पाद आईटीसी ब्रांड के थे। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में इन लोगों ने अपनी दुकान पर तंबाकू उत्पाद के विज्ञापन भी लगाए हुए थे।
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ये हाल तब हैं जब सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 की धारा 6 के अनुसार शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे के भीतर सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री गैरकानूनी है।