नई दिल्ली । देश में ''राजनीति की प्रयोगशाला'' के रूप से पहचान बनाने वाला राज्य बिहार एक बार फिर से एक नए सियासी समीकरण को लेकर सुर्खियों में है । बिहार की राजनीति में कुछ तीखे मोड़ आने के संकेत मिल रहे हैं । ऐसी खबरें हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का आपस में विलय होने जा रहा है । इसके संकेत तेजी से बदलते सियासी समीकरणों और हालातों के बीच दोनों दलों के दिग्गज नेताओं के बयानों से मिल रहे हैं । असल के कुछ घटनाक्रमों के बाद बिहार की इन दो दिग्गज पार्टियां के एक होने के संकेत मिले थे । इन दिनों खुद नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव इन सवालों को खारिज करने के बजाए गोलमोल जवाब देते नजर आ रहे हैं । अगर दोनों दलों की ये खिचड़ी पकी तो नई पार्टी का नाम वहीं 27 साल पुराना ''जनता दल'' होगा , जिसका निशान चक्र छाप हो सकता है ।
नीतीश राष्ट्रीय अध्यक्ष - तेजस्वी संभालेंगे बिहार!
कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं कि एक बार फिर से दोनों दल पुराने जनता दल को खड़ा करेंगे। दोनों दलों के एक होने की खबरों के बीच तेजस्वी यादव पार्टी के विलय की कवायद में लगे हुए हैं । असल में जब इससे जुड़े सवाल नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से पूछे गए , तो दोनों नेताओं ने न तो सवाल खारिज किए और न ही उनपर कोई साफ जवाब दिया । दोनों ही नेता गोलमोल जवाब देते नजर आए । ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि जनता दल के अस्तित्व में आने पर नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे और तेजस्वी यादव बिहार संभालेंगे ।
भाजपा के खिलाफ खड़ा होगा जनता दल''
असल में गुजरात से निकलकर केंद्र की राजनीति में आने वाले नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बनें हैं , तब से भाजपा ने देश में अपना विस्तार किया है । कई राज्यों में पार्टी ने विपक्षी दलों को पूरी तरह से सत्ता से बाहर कर दिया है । भाजपा को रोकने के लिए दक्षिण से लेकर उत्तर भारत में कई महागठबंधन बन रहे हैं , लेकिन बहुत ज्यादा उपयोगी साबित नहीं हुए हैं । सभी शरद पवार इस महागठबंधन की कमान संभालते नजर आते हैं तो कभी ममता बनर्जी महागठबंधन की मुखिया बनती नजर आती हैं । कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचाने की जुगत में ही लगी है । ऐसे में समय में भाजपा के खिलाफ एक मजबूत महागठबंधन खड़ा करने के लिए जेडीयू और राजद आपस में विलय करके नई पार्टी जनता दल बनाने की जुगत में है , जो भाजपा के विस्तार को थामने की कोशिशें करेगी । दोनों दलों के दिग्गज नेताओं का मानना है कि अगर दोनों दलों का वोट बैंक एक साथ खड़ा हो गया तो बिहार में तो उन्हें हिलाना मुश्किल होगा ही साथ ही अन्य प्रदेशों में भी वह दूसरे क्षेत्रिय दलों के साथ मिलकर और बड़े दलों को साथ लेकर भाजपा के खिलाफ एक बड़ी शक्ति बन सकते हैं ।
क्या बदलने वाला है बिहार का राजनीतिक मिजाज
बता दें कि कुछ महीने पहले ही नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन छोड़ते हुए महागठबंधन से अपना पल्ला झाड़ लिया था । इसके बाद नीतीश अपने धुरविरोधी लालू यादव की पार्टी से साथ जा मिले और दोनों ने मिलकर बिहार में गठबंधन की नई सरकार बना ली । लेकिन अब इन दोनों दलों के विलय की खबर सामने आने पर , फिर से बिहार की राजनीति का मिजाज बदलने की आशंका जताई जा रही है ।