नई दिल्ली । पिछले डेढ़ साल के कोरोना काल में इस महामारी से लड़ने के लिए कई तरह की दवाएं सामने आई हैं । कोरोना की दूसरी लहर को भी अब ढलान पर कहा जा रहा है । इस सबके बीच कोरोना से लड़ने के लिए एक नए ''हथियार'' को तैयार बताया जा रहा है । असल में अब कोरोना से लड़ने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी यानी कॉकटेल ड्रग्स का इस्तेमाल भारत में भी शुरू कर दिया गया है । कहा जा रहा है कि यह कोरोना के 70 फीसदी मरीजों में असरदार है । इसकी मदद से कोरोना से संक्रमित लोगों की स्थिति पर काबू पा जा सकता है , जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी । ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को भी कोरोना होने पर यही दवा दी गई थी ।
सामने आया है कि इस कोरोना के मरीजों को संक्रमित होने के 72 घंटे के भीतर दिया जाता है। हालांकि अभी इसका इस्तेमाल देश के चुनिंदा शहरों में हो रहा है । लेकिन जैसे जैसे इसकी मांग बढ़ेगी , यह अन्य शहरों में भी नजर आएगी ।
बता दें कि स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी रोशे और सिप्ला ने इस दवा को भारत में लॉच किया था । मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकलेट को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह मरीज की कोरोना से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता है । सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक , इस दवा में कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्देबीमाब (Imdevimab) जैसे दो सॉल्ट को मिलाकर बनाया जाता है ।
दावा किया जा रहा है कि इस दवा से कोरोना के मरीजों को इस वायरस से लड़ने में मदद मिलती है । ये दवा , मानव शरीर के अंदर वायरस को कोशिकाओं में जाने से रोकती है । इसके चलते वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता और वायरस बढ़ नहीं पाता है ।
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