Tuesday, June 6, 2023

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राहुल गांधी की सदस्यता होगी समाप्त ! , मानहानी केस में 2 साल की सजा - कोर्ट ने जमानत देते हुए 30 दिन के लिए सजा पर रोक लगाई

अंग्वाल न्यूज डेस्क
राहुल गांधी की सदस्यता होगी समाप्त ! , मानहानी केस में 2 साल की सजा - कोर्ट ने जमानत देते हुए 30 दिन के लिए सजा पर रोक लगाई

न्यूज डेस्क । सूरत की सेशंन कोर्ट ने गुरुवार सुबह आपराधिक मानहानी केस में कांग्रेसी नेता राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए उन्हें 2 साल की सजा सुनाई है । हालांकि कोर्ट ने उन्हें वहीं जमानत देते हुए फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया है । इस दौरान वह ऊपर की अदालत में अपनी अर्जी दाखिल कर सकते हैं , लेकिन इस सबके बीच एक नया मुद्दा उठ गया है । असल में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार , अगर किसी प्रतिनिधि को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो सकती है । इतना ही नहीं हाल में ब्रिटेन में एक कार्यक्रम के दौरान ‘भारत में लोकतंत्र पर क्रूर हमला’ वाले बयान के लिए राहुल गांधी पर संसद में घेरा जा रहा है । नियमानुसार उनकी सदस्यदा भंग किए जाने की मांग तक की जा रही है । 

बता दें कि ब्रिटेन में एक कार्यक्रम के दौरान ‘भारत में लोकतंत्र पर क्रूर हमला’ वाले बयान को लेकर भाजपा ने राहुल गांधी पर हमले तेज कर दिए हैं । केंद्रीय मंत्रियों सहित भाजपा नेताओं ने कांग्रेस नेता से माफी की मांग करते हुए जोर देकर कहा कि वह ‘संसद से ऊपर नहीं’ हैं । भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी स्पीकर ओम बिड़ला से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भंग करने की मांग की है, जबकि उनके खिलाफ देशद्रोह सहित किसी भी संभावित आपराधिक कार्रवाई के कयास लगाए जा रहे हैं । भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने यह कहकर विदेशी धरती से देश का अपमान किया है कि अमेरिका और यूरोपीय देश इस बात से बेखबर हैं कि भारत के लोकतांत्रिक मॉडल का एक बड़ा हिस्सा अब पूर्ववत नहीं रह गया है । 

इससे इतर , बता दें कि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को लेकर एक व्यवस्था दी थी , जिसमें जिन भी नेताओं को  आपराधिक मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा सुनाई जाएगी, उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता तत्काल रद्द हो जाएगी । इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा था कि कैद में रहने के दौरान वह वोट देने का हक भी नहीं रखते । इतना ही नहीं वो शख्स चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा । ऐसा इसलिए क्योंकि जेल जाने के बाद उन्हें नामांकन करने का हक नहीं होगा । उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा कवच प्रदान करने वाले जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(4) को खत्म कर दिया था । 

बहरहाल , कोर्ट ने अभी राहुल गांधी को आपराधिक मानहानी केस में दोषी देने के साथ ही 2 साल की सजा तो सुनाई है , लेकिन साथ ही उन्हें फैसले के खिलाफ अपील दायर करने के लिए 30 दिनों का समय देते हुए उन्हें जमानत दे दी है । 

सूरत कोर्ट की ओर से सजा का ऐलान होने के बाद राहुल गांधी अब भाजपा के निशाने पर आ गए हैं । बीते दिनों कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अपनी विवादित टिप्पणी पर घिरे कांग्रेस सांसद के लिए ये बड़ा झटका कहा जा सकता है । वहीं, सजा मिलने के बाद बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने कहा कि राहुल गांधी कोर्ट के कटघरे में हैं, वे लोकतंत्र के कटघरे में भी हैं । इस मंदिर में आकर माफी मांगने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं । 


पूर्णेश मोदी के वकील ने दलील देते हुए कहा कि राहुल गांधी के भाषण की सीडी साबित करते हैं कि उन्होंने रैली में टिप्पणी की थी । इस पर राहुल गांधी के वकील ने तर्क दिया कि कार्यवाही शुरू से ही त्रुटिपूर्ण थी, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 202 के तहत कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था । उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में एक पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता होना चाहिए था । उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के अधिकांश भाषणों में प्रधान मंत्री को लक्षित किया गया था । भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी स्पीकर ओम बिड़ला से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भंग करने की मांग की है, जबकि उनके खिलाफ देशद्रोह सहित किसी भी संभावित आपराधिक कार्रवाई के कयास लगाए जा रहे हैं । झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद ने विशेषाधिकार समिति के समक्ष तर्क दिया कि राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने बयान के दौरान तीन विशेषाधिकारों का उल्लंघन किया । उन्होंने राहुल गांधी पर लोकसभा अध्यक्ष को सूचित किए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ निराधार, बदनामीपूर्ण और असंसदीय दावे करके नियम 352 के उल्लंघन का अरोप लगाया । 

इस सबसे इतर , ब्रिटेन में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी के दिए गए बयान पर भी वह घिरे हुए हैं ।  संसदीय नियमावली के रूल 352 (2) के तहत, एक सांसद केवल लोकसभा अध्यक्ष को पूर्व सूचना देकर और उनकी अनुमति से ही सदन के किसी अन्य सदस्य के बारे में टिप्पणी कर सकता है । निशिकांत दुबे का तर्क है कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी कर इस नियम को तोड़ा है. भाजपा सांसद ने विशेषाधिकार समिति के समक्ष 1976 की घटना को उठाया, जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी को राज्यसभा से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने सभापति को पूर्व सूचित किए बिना और उनकी अनुमति लिए बिना, प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप लगाए गए थे । 

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विशेषाधिकार समिति के सामने तर्क दिया वह है कि राहुल गांधी के भाषण को लोकसभा अध्यक्ष ने संसद की कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटा दिया था,  लेकिन ट्विटर और यूट्यूब पर राहुल गांधी के हैंडल में संसद की कार्यवाही से हटाई गई उनकी टिप्पणियां अब भी मौजूद हैं ।  भाजपा सांसद के मुताबिक, राहुल गांधी का यह कृत्य सदन के स्पीकर के अधिकार और विवेक का उल्लंघन करता है । 

ऐसे में इस पूरे मुद्दे को लेकर भी भाजपा लगातार राहुल गांधी पर निशाना साध रही है । इन नियमों के तहत और अब सूरत कोर्ट द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद अब उनकी संसद की सदस्यता पर तलवार खड़ी हो गई है।

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