नई दिल्ली । कांग्रेस के असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं को लेकर बने गुट जी-23 की पार्टी आलाकमान के खिलाफ नाराजगी फिलहाल घटती नहीं दिख रही है। जम्मू में हुई बैठक में असंतुष्टों की तरफ से तीखे तेवर दिखाए जाने के बाद ऐसी ही एक बैठक जल्द ही हिमाचल में भी होने की अटकलें चल रही हैं। लेकिन जिस तरह से पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने अपने सुर में नरमी दिखाई है, उससे सवाल उठने लगे हैं कि जी-23 की एकजुटता कितने समय तक कायम रहेगी।
आनंद शर्मा ने मंगलवार को साफ कर दिया कि वो कोई भी ऐसा काम नहीं कर रहे हैं जो पार्टी के खिलाफ हो। एक दिन पहले पश्चिम बंगाल में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव क लिए कांग्रेस और आईएसएफ के साथ आने को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके आनंद शर्मा का कहना है, ‘हम जो कर रहे हैं, उसका सही मतलब निकाला जाए। हम पार्टी को मजबूत करना चाहते हैं। हम ऐसा कुछ नहीं चाहते, जो पार्टी को कमजोर करे।’
सोनिया गांधी के नेतृत्व पर भरोसा
आनंद शर्मा ने साफ किया कि कुछ चिंताएं हैं, कुछ मुद्दे हैं जिसे उठाया गया है। लेकिन साफ किया कि पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा कि आज तक पार्टी नेतृत्व के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने एक इंटरव्यू में साफ किया कि वह विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं। बतौर कांग्रेसी उनसे जहां भी प्रचार के लिए जाने को कहा जाएगा, वहां जाएंगे।
अन्य नेताओं के भी बदल रहे सुर
इस बीच, सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं, जिन्हें जम्मू में एक संयुक्त बैठक के बाद जी-23 का नाम दिया गया था, में से कुछ ने अपने साथियों की गतिविधियों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व उपसभापति पीजे कुरियन का कहना है कि वह कांग्रेस में आंतरिक स्तर पर सुधार चाहते हैं लेकिन उन्हें अपनी लक्ष्मण रेखा पता है। उनका कहना है कि पत्र लिखने वाले नेताओं की गतिविधि पार्टी को मजूत करने की दिशा में होनी चाहिए। यह असंतुष्टों की गतिविधि नहीं होनी चाहिए। वहीं पूर्व सांसद संदीप दीक्षित का भी कहना है कि 23 लोगों ने एक राय को लेकर पत्र पर हस्ताक्षर किया था। अब अगर समूह के अंदर समूह बनाकर 5-6 लोग कुछ कर रहे हों तो इसका अंदाजा नहीं है।
चुनावों को देखते हुए उपयुक्त समय नहीं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बगावती तेवर ऐसे समय पर दिखाए हैं जबकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। माना जा रहा है कि पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को अब इस बात अहसास होने लगा है कि उनकी गतिविधियां इन चुनावों में पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है। शायद यही वजह है कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा है कि अब जबकि पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, पार्टी के आंतरिक मामलों पर चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है। सोनिया के करीबी माने जाने वाले इन नेता ने जी-23 जैसा कोई ग्रुप होने की बात से भी इनकार किया।