नई दिल्ली। शादियों में दहेज के लेन-देन को रोकने और दहेज कानून के तहत दर्ज होने वाली शिकायतों को रोकने के लिए कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिए हैं। केंद्र को जल्द ही इस पर कानून बनाने के प्रवधान दिया गया है। इसके तहत अब सरकार शादियों में होने वाले खार्चों का हिसाब-किताब बताना अनिवार्य कर सकती है। कोर्ट ने शादियों में होने वाले फिजूल के खर्चों पर अपना सूझाव देते हुए कहा कि शादी में होने वाले फालतू के खर्चों में कटौती कर उसका एक हिस्सा वधु के बैंक खाते में जमा किया जा सकता है, जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर वो इसका इस्तेमाल कर सके।
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कोर्ट ने केंद्र से जल्द शदियों में होने वाले खर्चों का हिसाब-किताब बताने और उसे अनिवार्य करने को लेकर विचार कर नियम बनाने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि वर-वधु दोनों पक्षों को शादी पर हुए खर्चों की जानकारी विवाह अधिकारी (मैरिज ऑफिसर) को बताना अनिवार्य होगा।
दरअसल कोर्ट के ऐसा करने कारण यह है कि अगर शादी में वर-वधु दोनों पक्षों की ओर से हुए खर्च का लेखा-जोखा विवाह अधिकारी के पास मौजूद रहता है तो इससे दहेज प्रताड़ना के तहत दर्ज किए गए मुकदमों में पैसे से जुड़े विवाद को सुलझाने में काफी हद तक मदद मिलेगी। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो जल्द ही ऐसी व्यवस्था लाए, जिससे ये पता लगाया जा सके कि शादी में कोई व्यक्ति कितना खर्च कर रहा है।
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गौरतलब है कि कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर अपनी राय मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार इस पर विचार करे और अपने कानून अधिकारी के जरिए कोर्ट तक अपने विचारों को पहुंचाए।