नई दिल्ली । इस समय दुनिया के वैज्ञानिकों को एक बड़ी चिंता सता रही है । असल में उनकी चिंता पृथ्वी की एक असमान्य गतिविधि को लेकर है , जिसके तहत हमारी धरती पिछले 50 सालों के इतिहास में , इन दिनों पहले की तुलना में ज्यादा तेजी से घूम रही है। इस सबके चलते धरती 24 घंटे से पहले ही अपनी धुरी पर एक चक्कर लगा ले रही है । पृथ्वी के इस असमान्य व्यवहार की शुरुआत दुनिया के कोरोना काल के दौरान जूझने यानी जून - जुलाई 2020 के दौरान से देखने को मिल रहा है । अब पृथ्वी के इस व्यवहार के चलते हमारी आम जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा और कैसे इससे निपटा जाए , इसे लेकर देश - दुनिया के वैज्ञानिक परेशान हैं ।
बता दें कि धरती 24 घंटे में अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाती है , लेकिन गत वर्ष कोरोना काल के दौरान से पृथ्वी के इस व्यवहार में बदलाव आया है । पृथ्वी के इस व्यवहार में बदलाव उस दौरान सामने आया है , जब देश दुनिया में कोरोना काल के चलते लॉकडाउन लगा हुआ था । उस दौरान पृथ्वी के साथ ही वायुमंडल में भी कई बदलाव देखने को मिले थे । दुनिया ने उस दौरान कई अद्भुत नजारों को देखा ।
लेकिन पृथ्वी के अपनी धुरी पर तेजी से घूमने की यह समस्या आने वाले समय में किसी संकट का कारण भी बन सकती है । असल में पृथ्वी के तेजी से घूमने के चलते धरती पर मौजूद सभी देशों का समय बदल जाता है । इस सबके चलते अब वैज्ञानिकों को अपनी-अपनी जगहों पर मौजूद एटॉमिक क्लॉक का समय बदलना पड़ेगा । यानी इस बार साइंटिस्ट्स को निगेटिव लीप सेकेंड अपनी-अपनी घड़ियों में जोड़ना पड़ेगा । साल 1970 से अब तक कुल मिलाकर 27 लीप सेकेंड जोड़े जा चुके हैं ।
विदेशी मीडिया में प्रकाशित कई रिपोर्ट्स के मुताबिक , मौजूदा समय में धरती अपनी धुरी पर घूमने में 24 घंटे से पूरे में 0.5 मिलीसेकेंड कम समय लेकर घूम रही है । ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक , पिछले 50 सालों से धरती के घूमने का एकदम सही आकंड़ा निकाला जा रहा है । 24 घंटे में 86,400 सेकेंड्स होते हैं , लेकिन पिछले साल जून से 86,400 सेकेंड में 0.5 मिलीसेकेंड की कमी आ गई है ।
जानें इस सबके चलते क्या आ सकती हैं समस्याएं
वैज्ञानिकों के मुताबिक , पिछले 12 महीनों में ये रिकॉर्ड कुल मिलाकर 28 बार टूटा है. समय का यह बदलाव सिर्फ एटॉमिक क्लॉक पर ही देखा जा सकता है , लेकिन इसकी वजह से कई सारी दिक्कतें आ सकती हैं ।
- हमारी संचार व्यवस्था में काफी दिक्कत आ सकती है ।
-हमारे सैटेलाइट्स और संचार यंत्र सोलर टाइम के अनुसार सेट किया जाते है , ये समय तारों, चांद और सूरज के पोजिशन के अनुसार सेट की जाती है।
- पेरिस स्थित इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन सर्विस (International Earth Rotation Service) के वैज्ञानिक समय के साथ सामंजस्य बनाए रखने के लिए 70 के दशक से अब तक 27 लीप सेकेंड जोड़े जा चुके हैं ।
- पिछली बार साल 2016 में लीप सेकेंड जोड़ा गया है, लेकिन अब इस बार लीप सेकेंड हटाने का समय आ गया है. यानी निगेटिव लीप सेकेंड जोड़ना पड़ेगा।