नई दिल्ली । मौजूदा समय में महंगी सीएनजी और पीएनजी का सामना कर रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है । अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले साल में गैस के बढ़े दामों से लोगों को राहत मिल सकती है । असल में किरिट पारिख ( Kirit Parekh) की अध्यक्षता वाली कमेटी ने गैस के दाम तय करने को लेकर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी है । इस पैनल ने गैस की कीमतों में लगाए जाने वाली सीमा को अगले 3 साल के लिए खत्म किए जाने का भी सुझाव दिया है । अभी हर छह माह में गैस के दाम तय किए जाते हैं । वहीं इस कमेटी ने देश में पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के प्राइस बैंड को 4 से 6.5 डॉलर प्रति यूनिट (mmBtu) तय करने की सिफारिश की है । इतना ही नहीं पारिख समिति ने सरकार से गैस प्राइस के दामों को कच्चे तेल के दामों के साथ जोड़ने का भी सुझाव दिया है ।
2027 से गैस के दाम बाजार की कीमतों पर हों तय
बता दें कि मोदी सरकार ने गत सितंबर में देश में उत्पादन होने वाले घरेलू गैस की कीमतों की समीक्षा करने के लिए योजना आयोग के पूर्व सदस्य और एनर्जी सेक्टर के जानकार किरिट पारिख की अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था । इस समिति ने अब पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के दामों में हर वर्ष बढ़ोतरी करने का सुझाव दिया है । साथ ही पैनल ने एक जनवरी 2027 से गैस के दाम बाजार की कीमतों के आधार पर तय करने की सिफारिश की है । सरकार अभी हर छह महीने के अंतराल पर गैस के दामों की समीक्षा करती है ।
अब कैबिनेट से मंजूरी की दरकार
सरकार ने 2070 तक जीरो-कार्बन एमीशन का लक्ष्य है । बहरहाल , पारिख पैनल ने अपनी सिफारिशों को पेट्रोलियम मंत्रालय को सौंप दिया है । अब उसे अमल में लाने के लिए कैबिनेट से मंजूरी की दरकार होगी । अगर कैबिनेट इस सिफारिश पर मुहर लगा देती है तो 1 अप्रैल 2023 से ही इसे अमल में लाया जाएगा।
दामों में हुई प्रचंड वृद्धि
असल में 1 अप्रैल 2022 को प्राकृतिक गैस के दाम को 2.9 से बढ़ाकर 6.10 डॉलर, फिर एक अक्टूबर, 2022 को 8.57 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दिया गया । इसका मतलब यह है कि 1 साल में करीब 200 प्रतिशत वृद्धि । सरकार ने गहरे क्षेत्रों से निकाले जाने वाले प्राकृतिक गैस की कीमतों को 9.92 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़ाकर 12.6 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दिया ।
सरकार की मंशा- गैस आधारित अर्थव्यवस्था बने
विदित हो कि मोदी सरकार ने इस कमेटी में फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री से लेकर गैस उत्पादक और खरीदारों के प्रतिनिधि शामिल किए। आम लोगों को सस्ते गैस उपलब्ध कराने के साथ ही किरिट पारिख पैनल पर ये जिम्मेदारी थी कि वो ऐसी पॉलिसी तैयार कर सरकार को सुझाव दे जो पारदर्शी से लेकर भरोसेमंद प्राइसिंग रिजिम हो और लंबी अवधि में भारत को गैस बेस्ड इकॉनमी (Gas Based Economy) बनाने में मदद करे ।
गैस बढ़ने से महंगाई पर असर
पिछले कुछ समय में देश में लगातार गैस के दाम बढ़े हैं । इसे महंगाई में बढ़ोतरी के तौर पर भी देखा जाता है । वहीं सरकार चाहत है कि लोग अपने वाहनों में गैस के इस्तेमाल में वृद्धि करें ताकि देश में प्रदूषण कम किया जा सके । मोदी सरकार देश में कुल एनर्जी में गैस की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 2030 तक 15 फीसदी करना चाहती है जो फिलहाल केवल 6.2 फीसदी है ।