नई दिल्ली । टोक्यो ओलंपिक में बुधवार को 69 किग्रा वेल्टर वेट केटेगरी का सेमीफाइनल मुकाबला हारकर गोल्ड मेडल की दौड़ से बाहर हुई भारतीय बॉक्सर लवलीना ने अपनी हार के साथ भी एक इतिहास रच दिया है । इसके साथ ही टोक्यो ओलंपिक में अब तक मिले तीन पदकों में से एक पदक लवलीना के खाते में गया है । इतना ही नहीं मैरी कॉम के बाद ओलंपिक में कांस्य पदक पाने वाली लवलीना एक नई बॉक्सर बन गई हैं । बहरहाल , कांस्य पदक पाने के साथ ही उनका ओलंपिक का सफर खत्म हो गया है , लेकिन उनके बारे में जानने की उत्सुकता कई लोगों में बन गई हैं ।
चलिए बताते हैं उनके सफरनामे को , आखिर कैसे एक बिजनेसमैन की बेटी इस खेल में आई और अपने पहले ही ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच गई ।
- बता दें कि लवलीना असम के गोलाघाट जिले के बड़ा मुखिया गांव की रहने वाली हैं ।
- इसका जन्म 2 अक्टूबर 1997 को हुआ था ।
- लवलीना के पिता टिकेन बोरगोहेन एक बिजनेसमैन हैं और मां ममोनी हाउस वाइफ हैं ।
- खेलों में लवलीना की शुरुआत किक-बॉक्सिंग से हुई ।
-स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के बॉक्सिंग ट्रायल के दौरान कोच पदुम बोरो की नजर लवलीना के खेल पर पड़ी, जिन्होंने 2012 में उन्हें कोचिंग देना शुरू किया था।
-बाद में भारत के मुख्य महिला बॉक्सिंग कोच शिव सिंह की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने लवलीना ने 2012 से बॉक्सिंग की कोचिंग लेनी शुरू की ।
- नवंबर, 2017 में वियतनाम में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप और जून, 2017 में अस्ताना में प्रेसिडेंट्स कप में लवलीना ने कांस्य पदक जीता ।
- फरवरी 2018 में लवलीना ने इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक जीत ।
- यह पहला मौका था जब लवलीना ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा ।
- 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के क्वार्टर फाइनल में लवलीना को अमेरिका की सैंडी रयान के हाथों हार मिली । इसके बाद उन्होंने अपने खेल की शैली में थोड़ा बदलाव किया ।
- साल 2018 के अंत में और इसके बाद 2019 में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में लगातार दो कांस्य पदक जीते ।
- लवलीना ने 2020 की शुरुआत में आयोजित एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के क्वार्टर फाइनल में उज़्बेकिस्तान की मफतुनाखोन मेलीवा को हराकर ओलंपिक में अपना स्थान पक्का कर लिया।