नई दिल्ली । तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार सुबह सेना के एक हेलीकॉप्टर क्रैश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत समेत 14 सैन्य अधिकारी दुर्घटना का शिकार हो गए हैं । खुद जनरल रावत गंभीर रूप से घायलावस्था में अस्पताल में भर्ती करवाए गए हैं । असल में 2019 में सेनाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होने के बाद मोदी सरकार ने उनके लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाकर उन्हें इस पद पर बैठाया था । उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक गांव के रहने वाले जनरल रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल पद से सेवानिवृत्त हुए थे ।
चलिए हम कुछ बिंदुओं में उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातों को आप तक पहुंचाते हैं ।
-असल में सीडीएस जनरल बिपिन रावत का जन्म पौड़ी गढ़वाल जिले के एक गांव में 16 मार्च 1958 को हुआ।
- जनरल के पिता लक्ष्मण सिंह रावत खुद सेना में आला अधिकारी रहें और वर्ष 1988 में वह लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर हुए ।
- उनके परिवार के कई लोग सेना में रहे , ऐसे में जनरल ने बचपन से ही सेना को अपने करियर के तौर पर चुन लिया था ।
- उन्होंने गोरखा राइफल से 1978 में अपने सैन्य करियर की शुरूआत की थी ।
- बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था ।
- भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था ।
- अपने सेवाकाल में उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल जैसे मेडल से सम्मानित किया गया ।
- दिसंबर 2019 को सेनाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए । - रिटायरमेंट के एक दिन पहले ही सरकार ने उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाने की घोषणा की थी । उन्होंने 1 जनवरी 2020 को पदभार भी ग्रहण कर लिया था ।
- जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। सरकार ने 2001 में उस समय के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) का गठन किया था ।
- इस जीओएम ने युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी का पता लगाया था । इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नियुक्ति की सिफारिश की थी । इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं में तालेमेल बनाना है ।
- जनरल बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया ।
- 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख बनाया गया था, लेकिन 31 दिसंबर 2016 को उन्होंने सेना की कमान संभाली थी । उन्हें दो अधिकारियों पर तरजीह दी गई थी ।
- जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था ।
- इसके साथ ही उन्होंने देश में आतंकियों के खिलाफ हुए कई अहम मिशन का नेतृत्व भी किया है ।