नई दिल्ली । सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में इस बाद का दावा किया है कि जिन देशों में ज्यादा गंदगी है और जहां के लोग कम हाइजीन वाले हैं , वहां के लोगों में कोविड 19 का खतरा , उन देशों की तुलना में बहुत कम है , जहां हाइजीन को लेकर लोग बहुत ज्यादा सजग हैं। इस सबके बाद देश में आवाजें उठ रही हैं कि भारत भी हाइजीन के मामले में पिछले कुछ सालों से जागरूक हुआ है , लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोग गंदगी में रहते हैं , जिसके चलते अधिकांश भारतीयों को कोविड 19 होने का खतरा बहुत कम है ।
बता दें कि अब से पहले भी एक रिपोर्ट आई थी , जिसमें कहा गया था कि भारतीयों की इम्यूनिटी अन्य देशों के लोगों की तुलना में बहुत अच्छी है , इसके चलते यहां अधिकांश स्वस्थ लोगों को कोविड का बहुत ज्यादा खतरा नहीं है । इस सबके बाद अब CSIR की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि लो और लो-मिडिल इनकम वाले देशों पर हाई पैरासाइट और बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारियों का बोझ ज्यादा होता है । ऐसे में इन लोगों के बीच फैलने वाले रोगों का अनुभव उनकी इम्यून ट्रेनिंग का हिस्सा बन जाता है । इस प्रैक्टिस को इम्यून हाइपोथिसिस कहा जाता है।
वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि विकसीत देशों में लोग बहुत ज्यादा हाइजीन का ध्यान रखते हैं । इसके चलते उनकी ऑटो इम्यूनिटी डेबलप नही होती इसके साथ ही उन्हें एलर्जी होने का खतरा भी ज्यादा रहता है । ऑटोइम्यून डिसॉर्डर कोविड-19 से होने वाली मौतों की बड़ी वजह है, क्योंकि बॉडी का अपना हाइपरेक्टिव इम्यून इंफेक्शन को नष्ट करने वाले साइटोकिन बनाता है ।
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑटोइम्यून डिसॉर्डर की समस्या हाई जीडीपी वाले और हाइजीन पसंद वाले देशों में ज्यादा देखी गई है । मतलब वह देश जो काफी संपन्न हैं और जहां के लोग बहुत ज्यादा साफ सुथरे वातावरण में रहते हैं और हाइजीन का ध्यान रखते हैं । इन देशों में मृत्यु दर की उछाल का ये एक बड़ा कारण है सकता है।
अगर भारत की बात करें तो यहां के कुछ ऐसे शहर जहां कुछ खास तरह के इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा रहता है , वहां कोविड-19 से कम मौतें हुई हैं । खुद CSIR के डायरेक्टर जनरल और इस स्टडी के प्रमुख लेखक शेखर ने कहा कि मने 25 मापदंडों का विश्लेषण किया है । यह बड़ा विरोधाभासी है कि हाई जीडीपी वाले देशों में कोविड-19 से लोग ज्यादा मर रहे हैं ।
का कहना है कि हमने सैनिटाइजेशन के लेवल की भी जांच की है । भारत में लोगों की रोगजनक वायरसों से लड़ने की क्षमता बचपन से ही विकसित हो जाती है । इसके चलते वह कई समस्याओं को आराम से सह लेते हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम इस बात को उदाहरण के साथ समझाएं तो भारत के बिहार राज्य को ही देख लें । बिहार आर्थिक नजरिए से काफी कमजोर राज्य है । राज्य में बाढ़ के बाद की आफत और कई तरह की बीमारियों से राज्य के लोगों को जूझते देखा गया है , लेकिन अगर प्रदेश में कोविड से मरने वाले लोगों का आंकड़ा देखे तो वह दूसरे राज्य से बहुत कम है ।
बिहार में कोविड-19 से यहां मौत का खतरा सिर्फ 0.5 प्रतिशत है जो कि देश की मृत्यु दर से बहुत कम है । इसके अलावा केरल और असम (0.4), तेलंगाना (0.5), झारखंड और छत्तीसगढ़ (0.9) में भी कोविड-19 का डेथ रेट कम देखा गया है । जबकि आर्थिक नजरिए से ज्यादा संपन्न राज्य जैसे महाराष्ट्र और गुजरात में कोविड से मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है ।