नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी लोगों में शुमार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एक बार फिर से अपनी दक्षता का प्रमाण दिया है । चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर उनकी बातचीत अब सफर हो गई है । चीनी विदेश मंत्रालय ने आखिर अपना बयान जारी किया है , जिसमें उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध को रोकने के लिए हम पीछे हटने को तैयार हो गए हैं । हालांकि 2 महीने से तिब्बत सीमा पर जारी गतिरोध में कई स्तर की बातचीत हुई लेकिन कोई भी मंजिल पर नहीं पहुंच पाई । लेकिन NSA अजीत डोभाल ने इस मुद्दे पर रणनीति बनाकर जो बात शुरू की उसे अंजाम दे डाला है । हालांकि ये बातें अब निकल कर आ रही हैं कि अब भारत की ओर से डोभाल तो चीन की ओर से वांग यी ही इस मुद्दे पर आगे बातचीत करेंगे । चीन ने भी अपने विदेश मंत्री को इस मुद्दे के लिए विशेष प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त किया है ।
बता दें कि पिछले दो महीने से सीमा विवाद को लेकर जारी गतिरोध अब भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Adviser) अजित डोभाल (Ajit Doval) और चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) की बातचीत के बाद हल्का पड़ता नजर आ रहा है । सीमा विवाद को लेकर पिछले दिनो गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद हालात इस कदर बिगड़ गए थे , कि दोनों ओर से युद्ध की बातें होने लगी थीं । दोनों ओर से तीन राउंड की सैन्य अधिकारी स्तर की वार्ता हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला । इसके बाद रविवार 5 जुलाई को एनएसए अजित डोभाल को भारत की तरफ से इस मुद्दे को सुलझआने के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया गया । वहीं चीन ने अपने विदेश मंत्री को यह जिम्मेदारी सौंपी। अब दोनों के बीच हुई बातचीत से हल निकलता नजर आ रहा है । हालांकि भारतीय फौज अभी अभी अलर्ट पर है ।
भारत सरकार द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति के मुताबिक सीमा विवाद को लेकर दोनों विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा विवाद पर खुलकर गहराई के साथ बातचीत हुई । बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों ही पक्ष अपनी सेनाएं पीछे लेंगे । सीमा पर शांति बनाए रखने को सबसे बड़ी प्राथमिकता माना गया । सीमा से सेनाएं पीछे करने का काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा । वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान किया जाएगा और भविष्य में भी इस तरह की स्थितियां उत्पन्न न होने दी जाएं जिससे शांति को खतरा हो ।
इस दौरान खास बात यह रही है कि अब दोनों ही विशेष प्रतिनिधि सीमा विवाद से जुड़े मसले पर एक-दूसरे से भविष्य में बातचीत जारी रखेंगे । यह बातचीत अन्य सभी स्तर की बातचीत के साथ चलती रहेगी ।