नई दिल्ली । आधार के स्वैच्छिक इस्तेमाल को मान्यता देने वाले अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद मोबाइल सिम कार्ड लेने या बैंक में खाता खुलवाने के लिए आपको अपने पहचान पत्र के तौर पर आधार देना है या नहीं इसका फैसला अब जनता ले सकेगी । असल में पिछले दिनों संसद सत्र के समय इससे संबंधित विधेयक लोकसभा में तो पारित हो गया था लेकिन उसे राज्यसभा में पारित नहीं करवाया जा सकता था। इसके चलते सरकार को इससे संबंधित अध्यादेश लाना पड़ा, जिसे शनिवार को राष्ट्रपति कोविंद ने मंजूरी दे दी है।
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बता दें कि मोदी सरकार ने आधार के स्वैच्छिक इस्तेमाल को लेकर बने विधेयक को लोकसभा में तो पारित करवा लिया था लेकिन इसके बाद हंगामे के चलते वह राज्यसभा में इसे पारित नहीं करवा पाई थी। इसके चलते सरकार ने इससे संबंधित एक अध्यादेश पेश किया था, जिसे राष्ट्रपति ने अब मंजूरी दे दी है। अध्यादेश में किसी व्यक्ति द्वारा प्रमाणन के लिए दी गई जैविक पहचान की सूचनाएं और आधार संख्या का सेवा प्रदाता द्वारा अपने पास जमा रखने को प्रतिबंधित कर दिया है। अध्यादेश के जरिये आधार कानून की धारा 57 को हटा दिया गया है. यह धारा निजी कंपनियों, इकाइयों द्वारा आधार के इस्तेमाल से जुड़ी है।
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असल में मोदी सरकार ने इस अध्यादेश के जरिये आधार कानून में एक और बदलाव किया है, जिसके तहत कोई भी बच्चा 18 साल का हो जाने के बाद आधार कार्यक्रम से बाहर निकलने का विकल्प चुन सकता है। इस दौरान यह भी प्रावधान किया गया है कि अब बैंक खाता खुलवाने या मोबाइल का सिम लेने के लिए अगर आप अपना आधार कार्ड नहीं देना चाहते तो कोई भी संस्था आपको सेवाएं देने से नहीं रोक सकता। इसका उल्लंघन करने वालों पर 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। इतना ही नहीं आदेश का अनुपालन नहीं करने पर ऐसी संस्थाओं को 10 लाख रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त जुर्माने भी देना होगा।
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