Saturday, April 20, 2024

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हम अभिभावकों को बाध्य नहीं कर सकते कि वह अपने बच्चों को स्कूल में भेजें, कई देशों ने स्कूल खोलने में जल्दबाजी की - सुप्रीम कोर्ट 

अंग्वाल न्यूज डेस्क
हम अभिभावकों को बाध्य नहीं कर सकते कि वह अपने बच्चों को स्कूल में भेजें, कई देशों ने स्कूल खोलने में जल्दबाजी की - सुप्रीम कोर्ट 

नई दिल्ली । कोरोना काल के चलते पिछले साल बंद किए गए स्कूल अभी तक पूरी तरह से नहीं खुल पाए हैं । इस मामले को लेकर एक 12वीं कक्षा के छात्र ने सुप्रीम कोर्ट में अब पूरी तरह से स्कूल खोलने संबंधी याचिका दायर की थी , जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करने से ही मना कर दिया।  कोर्ट ने कहा है कि वह हर जगह का प्रशासन नहीं चला सकता ।   हर राज्य में सरकार स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर निर्णय ले रही है। एक आदेश पारित कर न तो सभी राज्यों से स्कूल खोलने को कहा जा सकता है, न अभिभावकों को बाध्य किया जा सकता है कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजें ।

इस दौरान कोर्ट ने कहा कि कम आयु के बच्चों को कोरोना से बचाने को लेकर हर कोई चिंतित है ।  दुनिया में कुछ देशों ने स्कूल और दूसरी सार्वजनिक जगहों को खोलने का निर्णय जल्दबाजी में लिया । उन्हें उसका नुकसान उठाना पड़ा । 

 आपको बता दें कि पिछले करीब 18 महीनों से देश भर के स्कूल पूरी तरह से नहीं खुल पाए हैं । ऐसे में दिल्ली के रहने वाले कक्षा 12वीं के एक छात्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट अब स्कूलों को पूरी तरह खोलने के आदेश जारी करे । इस छात्र का कहना है कि इस समयावधि में छात्रों की पढ़ाई बहुत बाधित हुई है । स्कूल न जा पाने का असर उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ रहा है ।  अब कोरोना नियंत्रण में नज़र आ रहा है । ऐसे में सुप्रीम कोर्ट जल्द से जल्द एक आदेश जारी कर स्कूलों को पूरी तरह खोलने का आदेश जारी करे । 


इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और बी वी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि यह याचिका तर्कसंगत नहीं है । हम यह नहीं कहते कि याचिका प्रचार के लिए दाखिल की गई है , लेकिन बेहतर हो कि आप पढ़ाई पर ध्यान दें । हर राज्य में सरकार स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले रही है ।  हमें नहीं पता कि किस जिले में बीमारी के फैलने का कितना अंदेशा है । यह भी नहीं पता कि शिक्षकों और कर्मचारियों का टीकाकरण पूरा हुआ या नहीं ।  सरकार लोगों के प्रति अपने कर्तव्य को समझती है । उसे ही तय करने दीजिए । 

 

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