पटना । बिहार विधानसभा चुनावों में आरोप प्रत्यारोप , विकास का मुद्दा जमकर उछलने के बाद अब आखिरकार आरक्षण का मुद्दा भी उठ गया है । इस मुद्दे को और किसी ने नहीं बल्कि सुबे के सीएम नीतीश कुमार ने ही उठाया है । सीएम नीतीश कुमार ने अभी शेष दो चरणों के मतदान से पहले राज्य में आबादी के हिसाब से आरक्षण की वकालत की है । उनका कहना है कि उनकी हमेशा से यही राय रही है और वो इस पर कायम है कि जातियों को उनकी आबादी के हिसाब से ही आरक्षण मिलना चाहिए । हालांकि उनके इस बयान के बाद अब यह आने वाले दिनों में सियासी हंगामे का नया मुद्दा बनने वाला है ।
विदित हो कि बिहार विधानसभा चुनावों में वोटरों को रिझाने के लिए सभी दल नए नए ऐलान कर रहे हैं । लाखों नौकरी देना के वायदे किए जा रहे हैं , तो कुछ विकास के नए वादे कर रहे हैं । राजनीतिक दल रोजगार और कानून व्यवस्था से लेकर घोटालों का मुद्दा भी उठा रहे हैं । इस सबके बीच नीतीश कुमार ने आरक्षण का नया दांव चला है , जिससे उन्होंने चुनावों में नई बहस शुरू कर दी है ।
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बता दें कि चुनावों के दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने वाल्मीकि नगर में कहा कि जातियों को आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए । असल में वाल्मीकि नगर में थारू जाति के काफी वोट हैं और ये जाति जनजाति में शुमार करने की मांग उठा रही है । वह बोले - जनगणना हम लोगों के हाथ में नहीं है, लेकिन हम चाहेंगे कि जितनी लोगों की आबादी है, उस हिसाब से लोगों को आरक्षण मिले । इसमें हमारी कोई दो राय नहीं है । उन्होंने कहा - थारू को आरक्षण का फायदा दिलाने के लिए वो सालों से कोशिश कर रहे हैं। तब से जब से वो अटल सरकार में रेल मंत्री थे ।
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