नई दिल्ली । टेरर फंडिंग और टेरर लिंक के आरोपों के बीच गृहमंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंड ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया है । इसके साथ ही उससे जुड़े अन्य संगठनों पर भी शिकंजा कस दिया गया है । मोदी सरकार के इस फैसले का जहां कुछ मुस्लिम संगठन समेत कुछ राजनीतिक दल विरोध करते नजर आ रहे हैं , वहीं अब इस फैसले के समर्थन में भी मुस्लिम संगठन और अन्य लोग आने लगे हैं । इसी क्रम में अब अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख जैनुल आबेदीन अली खान का बयान भी सामने आया है। उन्होंने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई कानून के मुताबिक और आतंकवाद रोकने के लिए की गई है. सभी को इसका स्वागत करना चाहिए ।
उन्होंने अपने एक बयान में कहा - देश सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं, देश किसी भी संस्था या विचार से बड़ा है और अगर कोई इस देश, यहां की एकता और संप्रभुता या देश की शांति खराब करने की बात करता है, तो उसे इस देश में रहने का अधिकार नहीं है ।
पीएफआई पर 5 सल के प्रतिबंध लगने के साथ ही उसे जुड़े 8 संगठनों पर भी शिकंजा कसे जाने पर उन्होंने कहा - पिछले कई दिनों से लगातार पीएफआई की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की खबरें आ रही हैं और इस पर लगाया गया बैन देश के हित में है । मैंने खुद पहली बार सरकार से दो साल पहले पीएफआई पर बैन लगाने की मांग की थी।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार रात जारी एक अधिसूचना में कहा, केंद्र सरकार का मानना है कि पीएफआई और उसके सहयोगी ऐसी विनाशकारी कामों में शामिल रहे हैं, जिससे पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन प्रभावित हुआ है । देश के संवैधानिक ढांचे को कमजोर, आतंकी शासन को बढ़ावा और उसे लागू करने की कोशिश की जा रही है । गृह मंत्रालय ने कहा, इन कारणों के चलते केंद्र सरकार का यह मानना है कि पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए उसे और उसके सहयोगियों-मोर्चों को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है ।