नई दिल्ली । महाराष्ट्र में जारी सियासत का मुद्दा बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा , जहां कल होने वाले फ्लोर टेस्ट को रुकवाने के लिए शिवसेना के चीफ व्हिप की याचिका पर सुनवाई हो रही है । इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि महाराष्ट्र कैबिनेट में उद्धव ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अगर कल फ्लोर टेस्ट हुआ तो उससे पहले ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि खबर लिखे जाने तक सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना के चीफ व्हिप और शिंदे के वकीलों के बीच जोरदार बहस का क्रम जारी है ।
अपने विधायकों के सामने भाषण देंगे ठाकरे
इस तरह की खबर सामने आ रही है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराए जाने के राज्यपाल के आदेश पर सहमति जताई तो कल मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट से पहले अपने विधायकों को संबोधित करेंगे । ऐसा मौका उद्धव ठाकरे नहीं छोड़ना चाहेंगे और वह अपने विधायकों को संबोधित करने के बाद सदन में भी अपना मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे । वह फ्लोर टेस्ट की ओर नहीं जाएंगे ।
फ्लोर टेस्ट रोकना लोकतंत्र के खिलाफ
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने अपनी बहस को जारी रखते हुए कहा कि अयोग्यता कार्रवाई लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रोक सकते । अयोग्यता साबित होगी तो फिर फ्लोर टेस्ट भी हो जाएगा । उन्होंने कहा कि न सिर्फ सरकार अल्पमत में है लेकिन सत्ता में बैठा पक्ष पार्टी के अंदर भी अल्पमत में हैं । हमने यही देखा है कि लोग फ्लोर टेस्ट जल्दी करवाने का अनुरोध करते हैं । लेकिन यह सरकार उसे टालने की मांग कर रही है । उन्होंने कोर्ट में कहा कि उनको ऐसे मामलों में अधिकार है । राज्यपाल ने अपना संवैधानिक काम किया है । कौल ने नबाम रेबिया मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि कोर्ट ने उन विधायकों को स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की विटिंग में हिस्सा लेने से नहीं रोका था जिनके खिलाफ अयोग्यता का मामला लंबित था । कल होने वाले फ्लोर टेस्ट को रोकना लोकतंत्र के खिलाफ होगा ।
शिवसेना की ओर से बोले सिंघवी
इस बीच शिवसेना के चीफ व्हिप के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा कि बागी विधायकों को वोट डालने देना लोकतंत्र की जड़ों को काटना होगा । राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट के लिए मंत्रिमंडल से सलाह नहीं ली. जल्दबाज़ी में निर्णय लिया है । जब कोर्ट ने सुनवाई 11 जुलाई के लिए टाली, तो इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए था । उन्होंने कोर्ट में कहा कि स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए । उनके फैसले के बाद सदन सदस्यों की संख्या बदलेगी । फ्लोर टेस्ट बहुमत जानने के लिए होता है । इसमें इस बात की उपेक्षा नहीं कर सकते कि कौन वोट डालने के योग्य है, कौन नहीं ।