नई दिल्ली । चुनाव में ईवीएम या बैलट पेपर के इस्तेमाल को लेकर चल रहे विवाद के बीच इलेक्शन कमीशन को अपने ही एक साथी से चुनौती मिली है। यूपी के चुनाव आयोग ने यह कहकर माहौल में सरगर्मी बढ़ा दी है कि अगर नई ईवीएम नहीं मिल सकती हैैं, तो बैलट पेपर से ही चुनाव कराया जाए। बता दें कि केंद्रीय चुनाव आयोग पर ईवीएम से छेड़छाड़़ की संभावना को लेकर काफी दबाव विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा बनाया जा रहा है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने बुधवार को ही राजनीतिक दलों व एक्सपट्र्स को खुली चुनौती दी थी कि वह ईïवीएम के साथ छेड़छाड़ करके अपने आरोप सही साबित करें।
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यूपी चुनाव आयोग ने लिखा है पत्र
मामला कुछ ऐसा है कि यूपी चुनाव आयोग ने केंद्रीय चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है। पत्र में यूपी चुनाव आयोग ने लिखा है कि उसके पास साल 2006 से भी पुरानी ईवीएम हैं और उनसे चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। यही नहीं, यूपी चुनाव आयोग ने बैलट पेपर से चुनाव कराए जाने की वकालत की है। इस पत्र के बाद संभावना जताई जा रही है कि यूपी में जुलाई के महीने में होने वाले निगर निकाय चुनाव बैलट पेपर से कराए जा सकते हैं।
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पुरानी ईवीएम बंद कर चुका सीईसी
यूपी के चुनाव आयुक्त की तरफ से यह पत्र भेजा गया है। इसमें केंद्रीय चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया है कि यूपी में चुनाव के लिए नई ईवीएम उपलब्ध कराई जाएं। पत्र में यह सुझाव भी दिया गया है कि अगर नई ईवीएम उपलब्ध नहीं कराई जाती हैं तो बैलट पेपर से ही चुनाव कराए जाएं। यूपी में आयोग के पास 2006 से पुरानी ईवीएम हैं। यूपी चुनाव आयोग का कहना है कि 2006 तक की ईवीएम का उपयोग केंद्रीय चुनाव आयोग बंद कर चुका है, इसलिए इनसे चुनाव कराने का औचित्य नहीं है।
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केजरीवाल और मायावती के दावों को मिली हवा
यूपी के चुनाव आयोग द्वारा पुरानी मशीनों के बजाए बैलट पेपर से चुनाव कराए जाने के सुझाव के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और बीएसपी सुप्रीमो मायावती के ईवीएम को लेकर आरोपों को हवा मिल गई है। मायावती और केजरीवाल का आरोप है कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है और चुनाव बैलट पेपर से ही कराए जाने चाहिए। हाल ही में राजस्थान के धौलपुर में ईवीएम में पाई गई कथित गड़बड़ी के बाद केजरीवाल ने अपना आरोप दोहराया था। उन्होंने कहा था कि वोटिंग के लिए 2006 से पहले की पुरानी ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसमें गड़बड़ी की जा सकती है।
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