जयपुर । राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र और सीएम अशोक गहलोत के बीच जुबानी जंग बदस्तूर जारी है । सीएम गहलोत द्वारा विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग को लेकर राज्यपाल ने फिर से साफ कर दिया है कि मौजूदा हालात में यह संभव नहीं है । विधानसभा सत्र पर मचे हंगामे को लेकर कलराज मिश्र ने कहा कि मैंने सत्र बुलाने की मांग को रोका नहीं था, लेकिन राज्य में राजनीतिक हालात अभी सामान्य नहीं हैं । अगर हालात सामान्य होते तो वो विधानसभा सत्र के लिए बिल्कुल इनकार ना करते, लेकिन राज्य में अभी ऐसा नहीं है ।
राज्यपाल कलराज मिश्र का कहना है कि मुख्यमंत्री की ओर से ये साफ ही नहीं किया गया कि वो सत्र किस लिए बुला रहे हैं । ये एक सामान्य सत्र होगा या फिर विश्वास मत के लिए सत्र बुलाया जा रहा है । विधायकों द्वारा राजभवन पर धरना दिए जाने को उन्होंने अफसोसजनक करार दिया ।
बता दें कि सीएम गहलोत द्वारा दो बार विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव राजभवन को दिया था लेकिन राज्यपाल ने उसे स्वीकार नहीं किया था । राज्यपाल का इसके पीछे तर्क है कि मौजूदा कोरोना के हालातों के बीच इस तरह से विधानसभा का सत्र बुलाना ठीक नहीं होगा । इतना ही नहीं अब राज्यपाल ने कहा कि हमने सत्र बुलाने की मांग को रोका नहीं है । लेकिन सीएम द्वारा भी यह साफ नहीं किया गया है कि आखिर विधानसभा का सत्र वह बुला क्यों रहे हैं ।
विदित हो कि बुधवार को राज्य सरकार ने एक बार फिर सत्र बुलाने के लिए नया प्रस्ताव भेजा, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया । राज्यपाल द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक, 14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू होगा ।
असल में कांग्रेस की गहलोत सरकार की कोशिश है कि सत्र बुलाकर जल्द से जल्द बहुमत को साबित कर दें। अगर सत्र बुलाकर व्हिप जारी किया जाता है, तो बागी विधायकों को वहां आना अनिवार्य होगा, अन्यथा उनकी सदस्यता जा सकती है ।
हालांकि पूर्व में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं ने राज्यपाल पर केंद्र सरकार के दबाव में आकर काम करने का आरोप लगाया है । इसको लेकर सीएम गहलोत ने जहां पहले पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी , वहीं दूसरी बार राज्यस्थान के सियासी हालात को लेकर पीएम से फोन पर बात करते हुए राजभवन के फैसलों पर सवाल उठाए ।