पटना । देश में प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही श्रमिक ट्रेनों के हाल क्या है , इसकी बानगी कई ट्रेनों के अपने गंतव्य तक पहुंचने में नजर आई है । इसी क्रम में दिल्ली से बिहार के मोतिहारी के लिए चलाई गई ट्रेन का सफर यूं तो 30 घंटे का था , लेकिन इस ट्रेन में सवार मजदूरों को पिछले 4 दिनों से इधर- उधर घुमाया जा रहा है । चार दिन बाद अब जाकर यह ट्रेन बिहार के समस्तीपुर पहुंची है , जिसमें सवार लोगों का भूख प्यास से बुरा हाल नजर आया । पिछले 4 दिनों से इधर- उधर घुमाने के बाद आखिरकार अब ट्रेन बिहार पहुंची है, जिसमें सवार यात्री अब हंगामे पर उतारू हो गए हैं ।
असल में दिल्ली से बिहार के मोतिहारी के लिए 22 तारीख को एक ट्रेन चली थी । इस ट्रेन में सवार लोगों को मोतिहारी का टिकट भी दिया गया था । लेकिन इन ट्रेनों को ट्रैक पर तवज्जो नहीं दी जा रही , जिसके चलते इन्हें घुमा फिरा कर चलाया जा रहा है । कई बार तो इस ट्रेन को घंटे एक जगह पर खड़ा कर दिया गया।
यूं तो यह सफर 30 घंटे का है , लेकिन इस ट्रेन को इतना घुमा फिरा कर बिहार पहुंचाया गया कि अब चौथे दिन यह ट्रेन बिहार के समस्तीपुर पहुंची है । कोरोना काल में जहां स्टेशनों पर कोई खाने पीने की व्यवस्था नहीं है , ऐसे में इस ट्रेन में सवार लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है ।
दुखद बात यह है कि एक गर्भवती को ट्रेन में प्रसव पीड़ा हुई , जिसे ट्रेन से उतारा गया और बिना किसी मेडिकल सुविधा के इस महिला ने स्टेशन पर भी बच्चे को जन्म दिया। हालांकि बाद में रेलवे के अफसर अपनी गाड़ी से इस महिला को अस्पताल लेकर गए ।
वहीं समस्तीपुर पहुंची एक अन्य ट्रेन के यात्री ने बताया कि उसने पुणे में 22 मई को ट्रेन पकड़ी थी और छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल की सैर कराते हुए ट्रेन 25 मई को दोपहर में समस्तीपुर पहुंची । इस ट्रेन से आए एक शख्स ने कहा कि स्टेशन पर ही ट्रेन
करीब 2-3 घंटे तक खड़ी हो जाती थी । इस प्रचंड गर्मी में परेशान यात्री कई जगहों पर आक्रोशित होकर तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दे चुके हैं ।
इस घटनाक्रम पर रेलवे प्रशासन का कहना है कि ट्रैक खाली नहीं मिलने की वजह से रूट डायवर्ट किया जा रहा है । कोशिश की जा रही है कि मजदूरों को खाना- पानी दिया जा सके ।