कोलकाता । पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के चार चरणों का मतदान हो चुका है । आगामी 17 अप्रैल को पांचवे चरण का मतदान होगा , लेकिन कांग्रेस के पूर्व प्रमुख और स्टार प्रचारक राहुल गांधी आज यानी बुधवार दोपहर बाद राज्य में अपनी पहली चुनावी रैली में शिरकत करेंगे । बंगाल जैसे बड़े राज्य में अपनी सियासी जमीन खिसकने के बावजूद कांग्रेस का यह रुख पार्टी के पतन का बड़ा कारण बन रहा है । पार्टी के कुछ बड़े नेता दबी जुबान में आलाकमान पर उदासीनता बरतने के आरोप लगा रहे हैं ।
विदित हो कि कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में शुमार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अब तक बंगाल में अपनी किसी सभा या रैली को संबोधित नहीं किया । रॉबर्ट वाड्रा के कोरोना संक्रमित होने की खबरों के बाद प्रियंका गांधी ने तो खुद के आइसोलेशन में जाने की बात कही थी , लेकिन राहुल गांथी असम , केरल , तमिलनाडु और पुडुचेरी के चुनाव खत्म होने के एक सप्ताह बाद तक भी बंगाल में नजर नहीं आए ।
बहरहाल , अब जब बंगाल चुनावों के खत्म होने में महज दो सप्ताह का समय बचा है , कांग्रेस के पूर्व प्रमुख और केरल के वायनाड के सासंद राहुल गांधी आज अपनी पहली चुनावी रैली करने जा रहे हैं । आज वह सिलीगुड़ी के माटीगारा-नक्सलबाड़ी क्षेत्र में जनसभा करेंगे। इसके बाद उत्तर दिनाजपुर जिले के गोलपोखर में उनकी रैली होगी।विदित हो कि बंगाल में कांग्रेस-लेफ्ट-आईएसएफ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अभी तक एक भी रैली बंगाल में नहीं की है। उनके साथ पार्टी के कई दिग्गज स्टार प्रचारकों ने भी बंगाल चुनाव से अपनी दूरी बनाए रखी । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी वाममोर्चा और इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेताओं के साथ मिलकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
इस बार बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच जारी सियासी जंग'' को देखते हुए पहले चार चरणों में वाम दल और कांग्रेस ने अपनी दूरी ही बनाए रखी । भाजपा ने जहां बंगाल में अपना सब कुछ झोंक दिया , वहीं टीएमसी की ओर से सिर्फ ममता उनका सामना करती दिखी । लेकिन देश की सबसे पूरानी पार्टी और एक समय सत्ता में रही कांग्रेस पूरी तरह नदारद रही है ।
असल में इस सबके बीच कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने दबी जुबान में कहा कि इस सबके पीछे कुछ राजनीतिक मजबूरी हैं , जिसके चलते आला नेता बंगाल में चुनाव प्रचार से बचते रहे । असल में कांग्रेस बंगाल में तो वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है , लेकिन केरल में मुख्य विरोधी पार्टी है । ऐसे में वह दोहरे माप दंड वाले मजबूरी से बचने के लिए अभी तक बंगाल में चुनाव प्रचार से बचते रहे हैं।
इतना ही नहीं पहले के चार चरणों में जिन सीटों पर मतदान हुआ है , उन्हें टीएमसी और भाजपा के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है , लेकिन अब जिन सीटों पर चुनाव होना है , वह वाम दलों और कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं । इसके मद्देनजर भी कांग्रेस ने खुद को बाद के चार चरणों के लिए तैयार किया है ।