देहरादून । उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अब देवभूमि में संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा के रूप में बढ़ावा देने के लिए जुट गई है । इस सबके लिए सरकार ने प्रदेश में 'संस्कृत ग्राम' बनाने का निर्णय लिया है । संस्कृत अकादमी उत्तराखंड की बैठक में सीएम रावत ने कहा कि संस्कृति सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है । इसे बढ़ावा देना इस समय बहुत जरूरी हो गया है , ताकि हमारी प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के साथ ही संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ाया जा सके ।
राज्य सरकार की ओर से इस मुद्दे को लेकर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार , सीएम रावत ने इस मुद्दे पर कहा कि पहले देवभूमि के हर एक जनपद और उसके बाद ब्लॉक स्तर पर संस्कृत ग्राम बनाए जाएंगे । इसके लिए जिलों में एक ऐसे गांव की खोज की जाएगी , जहां एक संस्कृत विद्यालय हो । रावत ने कहा कि युवाओं को संस्कृत की अच्छी जानकारी देने और समाज तक इसका व्यापक प्रभाव फैलाने के लिए संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के साथ ही उसके शोध कार्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
सरकारी बयान के अनुसार , संस्कृत भाषा, वेद, पुराणों एवं लिपियों पर शोध कार्य पर अधिक ध्यान देने की भी जरूरत है । सीएम ने कहा कि इसके लिए बजट का सही प्रावधान हो और सभी कार्य परिणाम आधारित हों । संस्कृत के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वालों और पाण्डुलिपियों के संरक्षण के लिए बजट का प्रावधान करने, डिजिटल लाइब्रेरी बनाने का भी बैठक में निर्णय लिया गया. बैठक में संस्कृत अकादमी का नाम ‘उत्तरांचल संस्कृत संस्थानम, हरिद्वार, उत्तराखंड’ करने का भी निर्णय लिया गया ।
हालांकि सरकार के इस फैसले पर कुछ सवाल भी उठने लगे हैं , जिसमें कहा जा रहा है कि सरकार अपनी गढ़वाली और कुमाउनी बोली के संरक्षण के लिए तो काम करती नजर नहीं आ रही है , लेकिन नई योजना बनाकर अब संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने की रणनीति बनाई जा रही है ।