न्यूज डेस्क । उत्तराखंड में एक बार फिर से प्राकृतिक आपदा अपने पांव पसार रही है । जोशीमठ में भूस्खलन और करीब 723 घरों में आई दरारों के बाद पूरे राज्य में दहशत व्याप्त है । इस बीच एक नहीं डराने वाली खबर जोशीमठ से 80 किलोमीटर दूर बसे कर्णप्रयाग से आ रही है , जहां की स्थिति भी डराने वाली है । असल में कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में भी करीब 40 मकानों में दरारें आ गई हैं । इन घरों के आसपास न केवल दीवारें दरक रही हैं , बल्कि जमीन भी धंस गई है । इसके चलते करीब 200 लोग भी लगातार असहज महसूस कर रहे हैं ।
कर्णप्रयास में ऊंचाई वाले मकानों पर संकट
जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग के ऊंचाई वाले मकानों पर भी संकट छाया हुआ है । बहुगुणा नगर के जिन घरों में दरारें आई हैं , वहां रहने वाले लोगों का कहना है कि हमें इस बात का अब बता है कि जल्द हमारा घर भी ढह जाएगा । लेकिन, हम लाचार हैं , हम कहीं नहीं जा सकते । हमारे पास अपने घरों को छोड़कर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है , लेकिन जाएं तो जाएं कहा ।
प्रशासन पर उदासीनता का आरोप
गांव के कुछ लोगों का कहना है कि जोशीमठ की घटना के बाद अब आशा है कि प्रशासन यहां की भी सुध लेगा , लेकिन अभी तक प्रशासन ने हमारी कोई सुध नहीं ली है । प्रशासन ने अब तक हमारे खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके मकानों को चिन्हित तक नहीं किया है । प्रशासन ने बारिश में इन घरों में न रहने की बात कही थी , लेकिन बारिश के बाद लोग फिर इन घरों में रहने आ रहे हैं । उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है ।
लोगों का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नीचे कुछ सरकारी इमारतें भी बनी हैं । उनमें भी दरारें आ गई हैं । वहां के लोगों का कहना है चारधाम की जो सड़क बनी है, उसकी वजह से यह सब हुआ है । इन लोगों का कहना है कि ऊपर के मकान अगर गिरे तो नीचे रहने वाले लोगों और भवनों को नुकसान होगा । लोगों का कहना है कि मंडी समिति की नई बिल्डिंग बनने के बाद से घरों में ये दरारें आने शुरू हुई हैं । दरार आने के बाद लोगों ने घरों में प्लास्टर करवाया, फिर भी उससे कुछ नहीं हुआ । साल 2021 से घरों में दरारें दिख रही हैं. प्लास्टर करान के बावजूद सबकुछ वैसा ही हो गया है ।
नहीं है ड्रेनेज की कोई व्यवस्था
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन की तरफ से इलाके में ड्रेनेज के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है । इस शहर में कोई भी ड्रेनेज की व्यवस्था नहीं है । एक घर का पानी दूसरे घर में रिसता है । कुछ लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है । स्थानीय लोगों का कहना है कि अब हमने भी एक संघर्ष समिति बनाई है , क्योंकिन प्रशासन बिना धरना के नहीं सुनता । जोशीमठ के लोगों की तरह हम लोग भी आंदोलन करेंगे । लोगों का कहना है कि शिकायत करने पर पटवारी आता है और नाप लेकर चला जाता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती ।