हरिद्वार । उत्तराखंड के हरिद्वार में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्ग दर्शक मंडल की दो दिवसीय सम्मेलन में आए साधु संतों और साध्वी धर्माचार्यों ने एक बार फिर से कुछ मुद्दों को उठाते हुए चार बिंदुओं पर अपना संकल्प दोहराया । इस सम्मेलन में बच्चों को संस्कारवान बनाने के साथ ही धर्मांतरण के खिलाफ ठोस कानून बनाने, ज्ञानवापी की तरह मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए गए स्थलों को भी वापस लेने का संकल्प दोहराया गया । इस सम्मेलन में देशभर से 178 साधु संतों और 34 साध्वी धर्माचार्यों ने भाग लिया ।
विदित हो कि हरिद्वार के निष्काम सेवा सदन में आयोजित विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिनी मीटिंग में चार बिंदुओं पर सभी ने आम राय बनाई ।
- समाज में पारिवारिक आत्मीयता, बच्चों को संस्कारित कर देश के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- देश में धर्मांतरण पर तत्काल रोक लगाने के लिए कठोर कानून बनाने की वकालत की गई ।
- देश में व्यापक विचार विमर्श के बाद समान नागरिक कानून को लागू किया जाए।
- देश के सभी मठ मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाए।
इस सम्मेलन में धर्मांतरण को लेकर देशभर से आए साधु संतों ने अपनी चिंता जताई । उन्होंने कहा कि देश में अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र के तहत धर्मांतरण बढ़ रहा है । ज्ञानवापी का मुददा भी मीटिंग में छाया रहा । इस दौरान कहा गया कि विदेशी फंडिग के जरिए ज्ञानवापी केस में रोड़े अटकाने के प्रयास हो रहे हैं ष। संतों ने कहा कि धर्मातरण रोकने को कठोर कानून बनाने के साथ ही मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिदों को भी वापस लिया जाना चाहिए ।
ज्ञानवापी केस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे अखिल भारतीय संत समाज के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि चार जुलाई से ज्ञानवापी मामले में सुनवाई शुरू होने जा रही है । उन्होंने कहा कि कुछ तत्व इसमें रोड़ा डालने चाहते हैं । देवबंद में हुई जमायते उलेमा हिंद की मीटिंग में एक तरह से कोर्ट को ही खुली चुनौती दे दी गई । उन्होंने साधु संतों से अपील की कि उन्हें इस मामले में पूरी एकजुटता के साथ आगे आना चाहिए ।
काशी से विहिप के सम्मेलन में भाग लेने हरिद्वार आए जितेंद्रानंद सरस्वती ने पिछले दिनों हुई धर्म संसद को एक अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र करार देते हुए कहा कि धर्म संसद करने वाले लोगों के एकाउंट की जांच होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि संत समाज का चोला ओढ़कर कुछ असामाजिक तत्व संत समाज की छवि खराब कर रहे हैं । यही नहीं एक षडयंत्र के तहत अनाप शनाप बोलकर कोर्ट के जरिए साधु संतों के हाथ पैरों में बेड़ियां डालने की साजिश रची जा रही हैं ।