Tuesday, April 23, 2024

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देवभूमि की मशहूर गायिका बसंती बिष्ट को मिला पद्मश्री सम्मान,जागर को दिलाई नई पहचान 

अंग्वाल न्यूज डेस्क
देवभूमि की मशहूर गायिका बसंती बिष्ट को मिला पद्मश्री सम्मान,जागर को दिलाई नई पहचान 

देहरादून। साल 2017 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है। उत्तराखंड की मशहूर जागर गायिका बसंती बिष्ट को पद्मश्री सम्मान दिया गया है। बसंती को यह सम्मान कला संगीत के क्षेत्र में खास योगदान के लिए दिया गया है। राजभवन में राज्यपाल डा. केके पाल ने जागर गायिका बसंती बिष्ट को पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने पर बधाई देते हुए सम्मानित किया। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अलग-अलग क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए करीब 89 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों के लिए चुना है। 

जागर के लिए संघर्ष

गौरतलब है कि जागर गायिका बसंती बिष्ट मूल रूप से चमोली की रहने वाली हैं। बसंती बिष्ट ने उत्तराखंड की जागर गायन विधा को नई पहचान दी है। आपको बता दें बसंती बिष्ट को जागर गाने की प्रेरणा लोकगायक जीत सिंह नेगी से मिली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज आलम यह है कि इसके चाहने वाले न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में फैले हुए हैं। कई नौजवान को इस गायन पर शोध भी कर रहे हैं। बसंती बिष्ट ने जिस समय जागर गाना शुरू किया उस वक्त इसका बहुत ज्यादा प्रचलन नहीं था। उन दिनों लड़कियों का सार्वजनिक जगहों पर गाना अच्छा नहीं माना जाता था पर बसंती ने हार नहीं मानी। सिर्फ पांचवी तक पढ़ी बसंती ने साल 1996 में उन्होंने आकाश्वाणी में स्वर की परीक्षा पास की। अब तो प्रदेश में किसी भी सांस्कृतिक महोत्सवों की शुरुआत इनकी गायकी के बिना अधूरी मानी जाती है।

क्या है जागर?


जगर का मतलब होता है जगाना। उत्तराखंड में जागर के द्वारा ही देवताओं की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि रात के बाद सुबह देवताओं को जगाने के लिए जागर गाया जाता है। जानकारों की मानें तो यह सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि कहीं भी गाया जा सकता है। इसे गाने वालों को जगरिया कहा जाता है। ये धार्मिक ग्रंथों की कहानियों को स्थानीय भाषा में लोगों को सुनाते हैं। इस दौरान हुड़का भी बजाया जाता है।  

बसंती को मिल रही बधाइयां

बसंती बिष्ट को पद्मश्री मिलने पर राज्य के संगीत प्रेमियों ने उन्हें बधाई दी है। संस्कृति विशेषज्ञ डाॅक्टर नंदकिशोर हटवाल ने कहा कि बसंती बिष्ट को ये सम्मान मिलना उत्तराखंड की लोक गायकी का सम्मान है। लोककला के क्षेत्र में पहली बार इस सम्मान के मिलने से इस विधा के अन्य कलाकारों को भी ऊर्जा मिलेगी। ये सम्मान ऐसे समय में मिला है जब ये संस्कृति गिने-चुने कलाकारों के पास सुरक्षित है। वहीं लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि कलाकारों का सम्मान हो रहा है, ये अच्छी बात है। बसंती बिष्ट जी को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बधाई। वह इसकी असली हकदार हैं। उन्होंने जागर विधा को नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। मैं उनकी दीर्घायु की कामना करता हूं। वे युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा श्रोत हैं। 

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