देहरादून। उत्तराखंड में फर्जीवाड़ा का दायरा बढ़ता जा रहा है। शिक्षा विभाग के बाद अब क्रिकेट में भी फर्जीवाड़े का उदाहरण सामने आया है। इसके तहत वीनू मांकड ट्राॅफी के लिए चुनी गई उत्तराखंड अंडर 19 टीम के 3 खिलाड़ियों पर बीसीसीआई ने 2 साल का बैन लगा दिया है। आरोपी तीनों खिलाड़ियों ने माना है कि उन्होंने टीम में शामिल होने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। ऐसे में हाल ही में बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद प्रदेश के क्रिकेट खिलाड़ियों पर इस तरह के फर्जीवाड़े का आरोप लगने से खेल को एक बड़ा झटका लगा है।
गौरतलब है कि राज्य की अंडर-19 टीम के चयन के बाद से ही कई खिलाड़ियों को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। इनमें से कुछ खिलाड़ियों की उम्र 19 साल से अधिक बताई जा रही थी वहीं, 2 क्रिकेटरों पर दूसरे राज्यों से स्कूल स्तर की क्रिकेट खेलने के आरोप लगे थे। बता दें कि इन खिलाड़ियों पर ट्रायल में शामिल होने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने का आरोप है।
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यहां बता दें कि राज्य क्रिकेट संचालन समिति के समन्वयक प्रोफेसर रत्नाकर सेठी के निर्देश पर ओवरएज बताए जा रहे तीनों क्रिकेटरों से पूछताछ की गई है। पूछताछ में सही जानकारी मिलने के बाद इन्हें टीम से बाहर करने के साथ ही 2 साल का बैन लगा दिया गया है। अब से खिलाड़ी उत्तराखंड और बीसीसीआई की ओर से होने वाले किसी भी मैच में भाग नहीं ले पाएंगे। देर रात बीसीसीआई के स्थानीय समन्वयक अमित पांडे ने आधिकारिक मेल जारी कर कार्रवाई की पुष्टि की।
गौर करने वाली बात है कि फर्जी दस्तावेज के जरिए ट्रायल में शामिल होने वाले खिलाड़ियों में प्रशांत कुमार, नितीश जोशी और लक्ष्य सिंह पंवार के नाम शामिल हैं। इसके अलावा 2 अन्य खिलाड़ियों पर शक की सूई घूम रही है अब उनके दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है।