देहरादून । उत्तराखंड में रविवार सुबह आई प्राकृतिक आपदा में अब तक 20लोगों के शव निकाले जा चुके हैं जबकि अभी भी 153 लोग लापता है । ग्लेशियर टूटने के कारण चमोली में भारी आपदा आई है । इलाके में कई पावर प्लांट से लेकर पुल और रिहाशयी इलाकों को भारी नुकसान हुआ है । स्थानीय प्रशासन से लेकर सेना तक अब रेस्क्यू में जुटी है और राज्य-केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही हैं । इस आपदा में ऋषि गंगा प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गया है , जिसमें अभी भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है।
बता दें कि चमोली स्थित तपोवन में मौजूद टनल के भीतर अभी भी बचाव कार्य जारी है । सोमवार सुबह भी आर्मी समेत अन्य एजेंसियां लगातार काम में जुटी हुई हैं । करीब 2 किमी लंबी इस सुरंग में मात्र अभी 200 मीटर की ही सफाई हो पाई है ।
उत्तराखंड के हादसे में मरने वालों का आंकड़ा 20तक पहुंच गया है । ऑपरेशन में सेना के इंजीनियर भी लगे हुए हैं । रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी ITBP की टीम के मुताबिक, एक सुरंग में करीब 30 लोग फंसे हैं ।
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया कि हमने दूसरी टनल के लिए सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है, वहां करीब 30 लोगों के फंसे होने की सूचना है । आईटीबीपी के 300 जवान टनल को क्लियर करने में लगे हैं, जिससे लोगों को निकाला जा सके । सुरंग में काफी मलबा और पानी होने के कारण लोगों को निकालने में मुश्किल आ रही है । यहां बड़ी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि मलबे, पत्थर को हटाया जा सके ।
चमोली पुलिस के अनुसार, अभी तक कुल 14 शवों को अलग-अलग स्थानों से बरामद किया गया है । जबकि सुरंग में कुल 15 लोगों का रेस्क्यू किया गया है ।
असल में सोमवार सुबह तक पानी का बहाव काफी कम हो गया है , लेकिन कुछ स्थानों पर झील जैसी स्थिति बन चुकी है । इसी क्रम में तपोवन प्रोजेक्ट के पास काफी पानी, मलबा हो गया है ।
रविवार को आपदा आने और पावर प्रोजेक्ट के पूरी तरह बर्बाद हो जाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि मैंने पहले ही हिमालय क्षेत्र में ऐसे पावर प्रोजेक्ट का विरोध किया था ।
उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा - जब मैं मंत्री थी तब अपने मंत्रालय की ओर से हिमालय - उत्तराखंड के बांधों के बारे में एक एफिडेविट दिया था , जिसमें कहा गया था कि हिमालय एक संवेदनशील स्थान है , इसलिए गंगा और उसकी सहायक नदियों पर पावर प्रोजेक्ट नहीं बनने चाहिएं ।