देहरादून । उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार पर विधानसभा चुनावों की आहटों के साथ ही हमलों की संख्या में तेजी आ गई है । प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह ने देवभूमि के काबिना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के उस बयान को हताशा से भरा बताया जिसमें उन्होंने राज्य के कर्मचारियों पर धरना-प्रदर्शन के माध्यम से प्रेशर पॉलिटिक्स करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हरक सिंह का यह बयान निराशाजनक है । अगर राज्य सरकार अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में काम करती तो आज उत्तराखंड धरना प्रदेश न कहा जाता ।
कैबिनेट मंत्री का बयान शर्मनाक
विदित हो कि काबिना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने अपने एक बयान में राज्य के कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए उनपर प्रेशर पॉलिटिक्स करने का आरोप लगाया था। उनके इस बयान पर अब प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ प्रतिमा सिंह ने कहा कि जिस तरह आज पूरे प्रदेश मे कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत है और उस पर श्रम मंत्री हरक सिंह रावत का ये बयान कि कर्मचारी धरना-प्रदर्शन करके प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं यह काफी शर्मनाक एवं निन्दनीय है।
अपनी मांगों के लिए हो रहा धरना
उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार सालों से विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा अपनी जायज मांगों को लेकर प्रदेश मे धरना और प्रदर्शन का दौर जारी है । उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ये धरना चाहे उपनल के कर्मचारियों का हो या पंचायती राज के कर्मचारी का। या पैरा मेडिकल स्टाफ , सचिवालय संघ कर्मचारी या अन्य किसी कर्मचारी है । सभी अपनी माँगो को लेकर संघर्षरत है।
हर मोर्चे पर विफल रही भाजपा सरकार
उन्होंने कहा कि ये धरना प्रदर्शन का लगाता चलने वाला दौर यह बताता है कि भाजपा सरकार को राज्य के कर्मचारियों के हितों से कोई सरोकार नही है। आज जिस तरह हजारों की संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री आवास कूच करने का काम किया है यह दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है।
सत्ता में रहने का अधिकार नहीं
उन्होंने कहा कि भाजपा अगर सत्ता नही संभाल पा रही है तथा अपने कर्मचारियों की जायज मांगों को पूरा नहीं कर पा रही है तो उसे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पूरे प्रदेश को महज धरना प्रदेश बनाकर छोड़ दिया है। आज प्रदेश की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय बेरोजगारी दर की भी दुगनी है। एक तरफ रोजगार देने मे सरकार असमर्थ है सारी नौकरियां सिर्फ कागजों तक ही सीमित है और दूसरी तरफ जिनके पास नौकरी है वो सरकार के तानाशाहीपूर्ण रवैये से परेशान है।