देहरादून। उत्तराखंड सरकार की विभागीय हीलाहवाली का एक बड़ा मामला समाने आया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्राॅडगेज डबल लाइन के निर्माण के तहत इसकी जद में आने वाले घरों और जमीनों के बदले लोगों को मुआवजे की रकम बांट दी गई। अब लोगों से यह कहते हुए मुआवजे की रकम वापस मांगी जा रही है कि उनके घर सरकारी जमीनों पर बने हुए हैं। बता दें कि 17 लोगों को जिला प्रशासन की ओर से नोटिस भेजकर उनसे रकम लौटाने को कहा गया है। इस मामले में तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी को भी तलब किया गया है।
गौरतलब है कि ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच करीब 126 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाने का काम किया जा रहा है। इसकी जद में आने वाले लोगों को जमीन और घरों के बदले करीब 6 महीने पहले मुआवजा दिया गया था लेकिन अब पता चला कि ये सभी सरकारी जमीन हैं। ऐसे में उनसे मुआवजे की रकम वापस मांगी जा रही है। यहां बता दें कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच रेल लाइन बिछाने की जद में करीब 10 गांव आ रहे हैं।
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गौर करने वाली बात है कि जिला प्रशासन एवं रेल विकास निगम की ओर से नरकोटाए सुमेरपुरए रतूड़ा और नगरासू में रेल लाइन के लिए भूमि देने वाले लोगों को मुआवजा दिया गया था। अब जिला प्रशासन की ओर से नोटिस भेजकर इसे सरकारी जमीन का अतिक्रमण बताकर लोगों से करीब 62 लाख रुपये वापस करने को कहा है। अब इस मामले में तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी से जवाब तलब किया गया है।