देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने बहुचर्चित घोटाले में फंसे पहली जांच समिति के सदस्य गीता राम नौटियाल की पदोन्नति की है। समाज कल्याण विभाग में उपनिदेशक पद पर तैनात नौटियाल को संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नत किया गया है। बता दें कि इस पहली समिति ने घोटाले की शिकायत को निराधार करार देते हुए क्लीन चिट दी थी। समिति के इस फैसल से वरिष्ठ अधिकारी सहमत नहीं थे और उन्हांेने समिति के सदस्यों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। इन सबको दरकिनार करते हुए शासन ने उन्हें पदोन्नति दे दी है।
गौरतलब है कि गीता राम नौटियाल ने समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले पर दबाने का पूरा इंतजाम कर लिया था। कई राजनीतिज्ञों के फंसने की आशंका को देखते हुए अब सरकार ने उन्हें पदोन्नत कर संयुक्त निदेशक बना दिया है। आपको बता दें कि नौटियाल उस पहली जांच समिति के सदस्य थे, जिसे तत्कालीन निदेशक ने छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सौंपी थी। उस वक्त घोटाले की रकम करीब सौ करोड़ के आस-पास बताई जा रही थी।
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यहां बता दें कि जांच समिति ने 5 दिनों तक पड़ताल करने के बाद यह निष्कर्ष दिया कि घोटाले की शिकायत बिल्कुल आधारहीन है। समिति ने कहा कि इस तरह का कोई घोटाला हुआ ही नहीं है। गौर करने वाली बात है कि तत्कालीन सचिव डॉक्टर भूपिंदर कौर औलख ने जांच समिति की रिपोर्ट को खारिज कर तत्कालीन अपर सचिव डॉक्टर वी.षणमुगम की अध्यक्षता में नई जांच समिति गठित की थी। इस समिति की जांच में घोटाले की पुष्टि हुई थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद तत्कालीन अपर सचिव मनोज चंद्रन ने घोटाले की सीबीआई या सतर्कता जांच के साथ ही घोटाले की शिकायत को निराधार मानने वाली समिति के सदस्यों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।
आपको बता दें कि पदोन्नति का आदेश होते ही कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए हैं। उन लोगों ने निलंबन और विधिक कार्रवाई की पुरानी सिफारिशों की नोटशीट को भी सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।