नैनीताल । उत्तराखंड के केदारनाथ में वर्ष 2013 में आई जल प्रलय के दौरान बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों की मौत के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है । कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है । साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि अगर उत्तराखंड की सरकार 'जल प्रलय' के बाद तीर्थयात्रियों की मौत के बाद उनके कंकाल का डीएनए टेस्ट करवा रही है तो यह भी बताए कि आखिर यह टेस्ट किस प्रयोगशाला में करवाए जाएंगे और सरकार इस मामले में क्या क्या कदम उठा रही है । हाईकोर्ट ने यह आदेश दिल्ली निवासी अजय गौतम की एक जनहित याचिका पर दिया है ।
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति नारायण सिंह धानिक की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए है। याचिका में याचिकाकर्ता अजय गौतम ने कहा कि केदार घाटी में आई जल आपदा के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए । इस प्राकृतिक आपता में करीब 4200 लोग लापता थे, जिसमें से 600 के कंकाल बरामद हुए। आपदा के चार साल बाद भी 3200 लोग केदारघाटी में दफन हैं । इनके कंकाल निकालने के लिए राज्य सरकार कोई कार्य नहीं कर रही है । हालांकि पहले भी कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कहा है कि सरकार लोगों के कंकाल निकालकर उनका विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार करे । बावजूद इसके सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई है ।
नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली दिल्ली निवासी अजय गौतम का कहना है कि अभी भी केदारधाटी में शवों के निकलने का क्रम बदस्तूर जारी है । ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह कंकालों को निकाल कर विधिवत संस्कार करे । इतना ही नहीं शवो का डीएनए कराकर कंकाल परिजनों को सौंपे जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार के पास अब तक 900 से अधिक लोग शव लेने पहुचे है और जो डीएनए कराने को तैयार है।