नैनीताल। उत्तराखंड में गंगा नदी में हो रहे प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि बिना ट्रीटमेंट के गंगा में गिरने वाले 65 नालों को फौरन बंद किया जाए या फिर उसका रुख मोड़ा जाए। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने हरिद्वार के 72 घाटों की सफाई के लिए निविदा प्रक्रिया को 21 दिनों के अंदर पूरा करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने ऋषिकेश, मुनिकीरेती, कीर्तिनगर, श्रीकोट, गंगनाली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, जोशीमठ, बद्रीनाथ और उत्तरकाशी के नालों का उपचार तय समय में करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सख्ती दिखाते हुए सभी आश्रमों और रेस्टोरेंट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे। बता दें कि कोर्ट ने कहा कि इस कार्य को मार्च 2019 तक को पूरा कर लिया जाए। कोर्ट ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को इन आदेशों के पालन की जिम्मेदारी दी है और राज्य के पेयजल सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
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यहां बता दें कि पेयजल सचिव ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश करते हुए कहा कि गंगा के उद्गम स्थल से लेकर हरिद्वार तक इसके आसपास कई छोटे कस्बे हैं। इन जगहों के पानी भी प्रदूषित पाया गया है। गंगा और उसकी सहायक नदियों में गिरने वाले 135 नालों में से 70 नालों का बहाव गंगा एक्शन प्लान फेज एक और दो के तहत रोका जा चुका है।